मेरा नाम प्रणीत है, और मैं हमेशा से प्यार को एक खेल समझता आया हूँ। लड़कियों के इमोशन के साथ खेलना, उनसे पैसे लेना और फिर उन्हें छोड़ देना—यही मेरी ज़िंदगी थी। लेकिन मुझे क्या पता था कि ज़िंदगी मेरे साथ ही एक ऐसा खेल खेलने वाली थी, जहाँ एक अजनबी लड़की मेरी दुनिया को हमेशा के लिए बदल कर रख देगी।
सब कुछ मेरी गर्लफ्रेंड पायल के साथ ठीक चल रहा था, जब तक कि एक रात मैं नशे में गाड़ी नहीं चला रहा था। अचानक गाड़ी के सामने कोई आया, और एक हादसा हो गया। हम डर के मारे वहाँ से भाग गए, यह जाने बिना कि वो लड़की कौन थी और उसके साथ क्या हुआ।
कुछ हफ़्तों बाद, जब मैं घर लौटा, तो मैंने देखा कि मेरे माँ-पापा के साथ एक नई लड़की रह रही थी। उसका नाम संजना था। माँ ने बताया कि कुछ दिन पहले पापा को वह एक सुनसान रास्ते पर बेहोश मिली थी। एक हादसे की वजह से वह अपनी याददाश्त खो चुकी थी। उसे अपना नाम, अपना घर, कुछ भी याद नहीं था।
एक अजनबी की आँखों में अनकहा राज़
संजना बहुत खूबसूरत और सीधी-सादी थी। मेरे माँ-पापा उसे अपनी बेटी की तरह प्यार करने लगे थे, और मैं भी उसकी तरफ आकर्षित होने लगा था। मैं उसे अपनी पुरानी आदतों के मुताबिक़, पटाने की कोशिश करने लगा। लेकिन संजना की आँखों में एक अजीब सी गहराई थी, एक उदासी थी, जो मुझे उसकी तरफ खींचती थी। उसकी आँखों में मुझे एक जानी-पहचानी सी कहानी दिखती थी, पर मैं समझ नहीं पाता था कि वो क्या है।

एक दिन, जब हम छत पर बैठे थे, मैंने उससे उसके अतीत के बारे में पूछा। उसने कहा, “मुझे कुछ याद नहीं, प्रणीत। बस कभी-कभी सपनों में एक धुंधला सा चेहरा दिखता है, जो मुझसे प्यार का वादा करके मुझे धोखा दे गया।”
उसकी यह बात सुनकर मेरे दिल में एक अजीब सी चुभन हुई।
सस्पेंस: जब एक तस्वीर ने राज़ खोला
मैं संजना के और करीब आने लगा था। मुझे उससे प्यार होने लगा था, और मैं अपनी पुरानी ज़िंदगी को पीछे छोड़ना चाहता था। पायल भी घर वापस आने वाली थी, और मैं उससे ब्रेकअप करने का मन बना चुका था।
एक दिन मैं अपने कमरे की सफाई कर रहा था, तभी मुझे मेरे पुराने वॉलेट में एक लड़की की तस्वीर मिली। उस तस्वीर को देखकर मेरे पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। वह तस्वीर किसी और की नहीं, बल्कि संजना की थी!
तभी मुझे सब कुछ याद आने लगा। संजना का असली नाम शिवानी था। वह मेरी एक्स-गर्लफ्रेंड थी, जिसे मैंने कुछ महीने पहले धोखा देकर छोड़ दिया था। और जिस रात मेरा एक्सीडेंट हुआ था, वह कोई और नहीं, बल्कि शिवानी ही थी, जो शायद मुझसे मिलने आ रही थी।
मेरा दिल अपराध बोध से भर गया। जिस लड़की को मैंने धोखा दिया, जिसकी याददाश्त मेरी वजह से चली गई, आज वही मेरे घर में एक अजनबी बनकर रह रही थी, और मैं उससे दोबारा प्यार कर बैठा था।
प्यार या प्रायश्चित?
मैंने फैसला किया कि मैं उसे सब कुछ सच-सच बता दूँगा, चाहे अंजाम कुछ भी हो। उस शाम, मैंने उसे छत पर बुलाया और कांपते हुए हाथों से उसे वह तस्वीर दिखाई।
मैंने रोते हुए उसे पूरी सच्चाई बताई—कैसे मैंने उसे धोखा दिया, और कैसे मेरी वजह से उसका यह हाल हुआ। मैं उसके पैरों में गिरकर माफ़ी मांगने लगा।

शिवानी (संजना) खामोश थी। फिर उसने धीरे से कहा, “शायद मेरा अतीत भूल जाना ही मेरे लिए अच्छा था, प्रणीत। क्योंकि उस अतीत में सिर्फ दर्द था। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में, तुमने मुझे जो प्यार और अपनापन दिया है, वह सच्चा है। मैं उस धोखे को नहीं, इस प्यार को याद रखना चाहती हूँ।”
उसकी आँखों में मेरे लिए नफरत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत की उम्मीद थी।
कहानी से सीख (The Moral of the Story)
- कर्मों का फल ज़रूर मिलता है: प्रणीत ने जैसा किया, वैसा ही उसके सामने आया। यह कहानी सिखाती है कि हम जो भी करते हैं, वह घूमकर हमारे पास वापस ज़रूर आता है।
- सच्चा प्यार प्रायश्चित का मौका देता है: जब प्रणीत को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उसे सच्चा प्यार भी मिला। प्यार हमें एक बेहतर इंसान बनने और अपनी गलतियों को सुधारने का मौका देता है।
- माफ़ कर देना ही सबसे बड़ा प्यार है: शिवानी ने प्रणीत के दिए हुए धोखे को भूलकर उसके बदले हुए रूप को स्वीकार किया। कभी-कभी अतीत को भूलकर आगे बढ़ जाने में ही सच्ची खुशी होती है।