उसने मुझे अपने बॉस के पास भेजा था, लेकिन उस रात मैंने खुद को पा लिया: मेरी सबसे सच्ची प्रेम कहानी

मेरा नाम आरती है। आज से 11 साल पहले जब मेरी शादी हुई, तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी हो गई। मेरे पति, संजय, एक सरकारी अफसर थे और हमारे तीन प्यारे बच्चे थे। बाहर से देखने पर हमारा परिवार एक आदर्श परिवार लगता था, लेकिन बंद दरवाज़ों के पीछे मैं एक ऐसी तन्हाई जी रही थी, जिसका शोर सिर्फ मेरे दिल को सुनाई देता था।

शादी के कुछ सालों बाद ही संजय मुझसे दूर होने लगे। उनका प्यार और अपनापन धीरे-धीरे खत्म होता गया और मैं सिर्फ बच्चों की माँ और घर की देखभाल करने वाली बनकर रह गई। मैं अंदर ही अंदर घुट रही थी, लेकिन अपने होठों को सिले हुए थी।

मुंबई, एक नया शहर और एक अजनबी नज़र

हमारी ज़िंदगी में एक नया मोड़ तब आया जब संजय का तबादला मुंबई हो गया। मुझे लगा कि शायद नए शहर में हमारे रिश्ते को एक नई शुरुआत मिलेगी, लेकिन यहाँ आकर मेरी तन्हाई और भी गहरी होने वाली थी। एक शाम, संजय मुझे अपने एक साथी की शादी में ले गए। वहाँ उन्होंने मुझे अपने बॉस, शेखर देसाई, से मिलवाया।

शेखर की नज़रों में कुछ ऐसा था जिसने मुझे पहली ही मुलाकात में असहज कर दिया। वो लगातार मुझे घूर रहा था। जब मैंने संजय से इस बारे में शिकायत की, तो उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि मैं बेवजह शक कर रही हूँ। लेकिन यह सिर्फ शक नहीं था, यह एक आने वाले तूफ़ान का पहला संकेत था।

जब मेरे पति ने मेरी इज़्ज़त का सौदा किया

धीरे-धीरे शेखर का हमारे घर आना-जाना बढ़ गया, और हर बार उसकी नज़रें मुझे और भी ज़्यादा असहज करती थीं। संजय न सिर्फ यह सब नज़रअंदाज़ कर रहे थे, बल्कि मुझे शेखर से घुलने-मिलने के लिए मजबूर भी कर रहे थे।

सस्पेंस और धोखे की शुरुआत उस रात हुई जब संजय ने मुझसे कहा कि अगर मैं शेखर से “अच्छे से बात” करूँ, तो वह हमारी ट्रांसफर वापस दिल्ली करवा सकता है। यह सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उन्होंने मेरा फोन लिया, शेखर को कॉल मिलाया, स्पीकर ऑन किया और फोन मुझे थमा दिया।

दूसरी तरफ शेखर की आवाज़ थी, और वह मुझसे ऐसी बातें कर रहा था जो कोई भी शरीफ औरत सुनना पसंद नहीं करेगी। और मेरा पति? वह मेरे बगल में बैठकर सब कुछ सुन रहा था, अपनी आँखों में एक अजीब सी उम्मीद लिए। उस रात मुझे एहसास हुआ कि यह सिर्फ ट्रांसफर की बात नहीं है, यह मेरी इज़्ज़त का सौदा हो रहा था।

हद तो तब हो गई जब संजय ने मुझ पर दबाव डाला कि मुझे अगले दिन अकेले शेखर के घर जाना होगा। उन्होंने कहा, “सिर्फ एक बार की बात है आरती, हमारे भविष्य के लिए।”

उस रात का सच… और मेरी आज़ादी

अगली सुबह, मैं कांपते हुए दिल के साथ शेखर के घर पहुँची। मेरे दिमाग में संजय के शब्द गूंज रहे थे। शेखर ने मुझे अंदर बिठाया और अपनी घिनौनी बातें शुरू कर दीं। जब उसने मेरे करीब आने की कोशिश की और मेरे कंधे पर हाथ रखा, तो मेरे अंदर दबी हुई सारी नफरत और गुस्सा लावा बनकर फूट पड़ा।

“आपकी हिम्मत कैसे हुई!” मैं चिल्लाई।

वह बेशर्मी से हँसा और बोला, “हिम्मत? यह सब तो तुम्हारे पति संजय ने ही करवाया है। उसने तो तुम्हें अपनी तरक्की के लिए एक कुर्बानी के तौर पर भेजा है।”

यह शब्द मेरे कानों में पिघले हुए शीशे की तरह उतरे। मेरा सिर चकराने लगा। मेरा अपना पति? इतना गिर सकता है? उस एक पल में, मेरे अंदर की आरती मर गई और एक नई, मज़बूत औरत ने जन्म लिया। मैंने वहीं से संजय को फोन किया और कहा, “तुम्हारी तरक्की तुम्हें मुबारक हो,” और फोन काट दिया।

मैं उस घर से बाहर निकली और सीधी अपने घर आई। मैंने अपना और बच्चों का सामान पैक किया और हमेशा के लिए उस घर, उस शहर और उस आदमी को छोड़कर निकल गई जिसने पति के नाम पर कलंक लगा दिया था।

मेरी सबसे सच्ची प्रेम कहानी

आज कई साल बीत चुके हैं। मैंने संजय को कभी माफ़ नहीं किया। मैंने दिल्ली में सिलाई-कढ़ाई का एक छोटा सा काम शुरू किया था, जो आज एक सफल बिज़नेस बन चुका है। मैंने अपने बच्चों को अकेले पाला है और उन्हें अच्छी शिक्षा दी है।

लोग पूछते हैं कि मेरी प्रेम कहानी का क्या हुआ? मैं मुस्कुराकर कहती हूँ—मेरी प्रेम कहानी किसी पुरुष के साथ नहीं, बल्कि उस रात खुद मेरे साथ शुरू हुई। जब मैंने एक धोखेबाज़ पति को छोड़कर अपने आत्म-सम्मान को चुना, जब मैंने किसी की पत्नी होने की पहचान को मिटाकर अपनी खुद की पहचान बनाई, वही मेरी ज़िंदगी की सबसे “सच्ची लव स्टोरी” थी।


कहानी से सीख (The Moral of the Story)

  • आत्म-सम्मान से बड़ा कोई रिश्ता नहीं: कोई भी रिश्ता या शादी आपके आत्म-सम्मान से बढ़कर नहीं होती। जहाँ सम्मान नहीं, वहाँ प्यार हो ही नहीं सकता।
  • सबसे बड़ी प्रेम कहानी खुद से प्यार करना है: दूसरों से प्यार की उम्मीद करने से पहले, खुद से प्यार करना और अपनी इज़्ज़त करना सीखना ज़रूरी है। यही वो प्यार है जो आपको कभी धोखा नहीं देता।
  • औरत बेबस नहीं होती: एक औरत जब अपनी ताकत को पहचान लेती है, तो वह किसी के सहारे के बिना भी अपनी दुनिया बना सकती है और सफलता की नई कहानी लिख सकती है।

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