वो मुलाकात जो दिल को छू गई
लखनऊ की एक बारिश भरी शाम थी। आसमान से पानी की बूंदें ऐसे गिर रही थीं, मानो सितारों ने धरती को गले लगाने की ठान ली हो। रोहन, अपने कॉलेज से निकलकर हजरतगंज की सड़कों पर तेजी से चल रहा था, छाता भूलने की गलती उसे भारी पड़ रही थी। अचानक उसकी नजर एक कॉफी शॉप की खिड़की पर पड़ी, जहां एक लड़की किताब पढ़ते हुए कॉफी की चुस्कियां ले रही थी। उसकी सादगी और मुस्कान में कुछ ऐसा था कि रोहन ठिठक गया। बारिश की बूंदों के बीच वो खिड़की के पास खड़ा हो गया, और तभी उस लड़की की नजर उस पर पड़ी।

“अरे, तुम ऐसे भीग रहे हो! अंदर आ जाओ,” उसने हंसते हुए कहा, अपनी किताब नीचे रखते हुए। रोहन, थोड़ा झेंपते हुए, अंदर दाखिल हुआ। “मैं आरती,” उसने हाथ बढ़ाया। “रोहन,” उसने जवाब दिया, और उस पल में कुछ ऐसा हुआ जैसे समय रुक गया। कॉफी शॉप की गर्माहट, बारिश की ठंडक, और उनकी बातों का जादू—सब कुछ एक परफेक्ट पल में सिमट गया। आरती, संदीप की बहन थी, जो रोहन का कॉलेज दोस्त था। उस दिन की मुलाकात ने उनकी दोस्ती की नींव रखी, जो जल्द ही प्यार की राह पर चल पड़ी।
वो रात जब डर ने प्यार को जगाया
कुछ महीनों बाद, एक ठंडी रात को घड़ी ने 12 बजा। रोहन के कमरे के दरवाजे पर हल्की दस्तक हुई। उसने दरवाजा खोला तो सामने आरती थी, चेहरा पीला, आंखों में डर। “रोहन, मैंने एक भयानक सपना देखा। मुझे नींद नहीं आ रही, क्या मैं यहीं सो सकती हूँ?” उसकी आवाज में बेबसी थी। रोहन ने मुस्कुराकर कहा, “ये तेरा भी घर है, आरती। अंदर आ जा।” उसने उसे पानी का गिलास थमाया, और दोनों बचपन की शरारतों को याद करने लगे। हंसी-मजाक के बीच वो नींद के आगोश में चले गए।

सुबह नाश्ते की मेज पर संदीप अपनी इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट की बातें कर रहा था, और आरती अपनी मेडिकल पढ़ाई की। लेकिन रोहन की नजरें बार-बार आरती पर ठहर रही थीं। उसकी मुस्कान, उसकी बातें, सब उसे खींच रहे थे। कॉलेज में उसकी दोस्त पूजा ने उसे टोका, “क्या बात है, रोहन? आजकल तू कहीं खोया रहता है।” रोहन ने हंसकर टाल दिया, लेकिन दिल में एक सवाल गूंज रहा था—क्या ये प्यार है?
सस्पेंस की आंधी: एक अनजान खतरा
रोहन रोज़ आरती को मेडिकल कॉलेज छोड़ता और लेने जाता। एक दिन, कॉलेज के बाहर उसे विशाल मिला—संदीप का पुराना दोस्त, जो लंदन से लौटा एक कामयाब बिजनेसमैन था। विशाल की चमक-दमक और बातों का अंदाज़ सबको आकर्षित करता था। उसने आरती से दोस्ती की कोशिश की, और आरती ने उसे एक अच्छा दोस्त मान लिया। लेकिन रोहन को कुछ गड़बड़ लग रहा था। विशाल की नजरों में एक अजीब चमक थी, जो सिर्फ दोस्ती की नहीं थी।

एक शाम, विशाल ने रोहन को अकेले में पकड़ा। “देख, रोहन, तू अच्छा लड़का है, लेकिन आरती जैसी लड़की को संभालना आसान नहीं। उसे वो सब चाहिए जो तू शायद न दे पाए—शोहरत, दौलत, स्टेटस।” विशाल की बातें रोहन के दिल में चुभ गईं। क्या वो वाकई आरती के लायक नहीं था? उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगा। रातें अब बेचैनी में कटने लगीं।
प्यार का इम्तिहान: सच का सामना
एक दिन कॉलेज में पूजा ने रोहन की उदासी देखी। “बता, क्या बात है?” उसने पूछा। रोहन ने सारी बात खोल दी—विशाल की बातें, उसका डर, और आरती के लिए उसका प्यार। पूजा ने हंसकर कहा, “रोहन, प्यार दिल से होता है, पैसे से नहीं। विशाल तुम्हें गुमराह कर रहा है। आरती तुझसे प्यार करती है, ये मैं उसकी आंखों में देख सकती हूँ।”

रोहन ने हिम्मत जुटाई और आरती से दिल की बात कह दी। “आरती, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। लेकिन विशाल की बातें…” उसकी बात पूरी होने से पहले ही आरती ने उसका हाथ थाम लिया। “रोहन, मुझे सिर्फ तू चाहिए। विशाल की बातों का कोई मतलब नहीं। मैंने उसे सिर्फ दोस्त समझा, लेकिन अब मुझे उसका असली चेहरा दिख गया।” उसने विशाल का गिफ्ट लौटाते हुए साफ कह दिया, “मेरे लिए रोहन ही सबकुछ है।”
सस्पेंस का अंत: प्यार की जीत
विशाल का प्लान नाकाम रहा। वो गुस्से में लखनऊ छोड़कर चला गया। रोहन और आरती का प्यार और मजबूत हो गया। दोनों ने पढ़ाई पूरी की—आरती डॉक्टर बनी, और रोहन एक सफल बिजनेसमैन।

शादी के बाद उनका सफर सपनों से हकीकत में बदल गया। एक भव्य शादी में संदीप और पूजा ने भी उनकी खुशियों को दोगुना किया।
सीख: प्यार का असली रंग
ये कहानी हमें सिखाती है कि प्यार विश्वास और सच्चाई की बुनियाद पर टिका होता है। बाहरी चमक-दमक और शक की आंधियां इसे डिगा सकती हैं, लेकिन अगर दिल सच्चा हो, तो प्यार हर इम्तिहान जीत लेता है। खुद पर यकीन रखें, और अपने प्यार को हर साये से बचाएं।
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