मेरा नाम काव्या है, और मेरी कहानी सुनकर शायद आप यकीन न कर पाएं कि कोई मुस्कुराता हुआ चेहरा अपने पीछे इतना गहरा राज़ छिपा सकता है। मैंने अपनी ज़िंदगी में एक ऐसा सच देखा है, जिसने मुझे सिखाया कि कभी-कभी सबसे ज़्यादा परवाह करने वाले ही सबसे खतरनाक होते हैं।

मेरी पहली शादी अभिषेक से हुई थी। उसी दिन मेरे देवर विकास की शादी मीरा नाम की एक साधारण सी लड़की से हुई। मैं अपनी देवरानी से ज़्यादा सुंदर थी, और यही बात शायद मेरे लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई। मेरा देवर विकास, अपनी पत्नी मीरा के सामने हमेशा मेरी तारीफें करता, जिससे मीरा के दिल में मेरे लिए नफरत का बीज बोया जा रहा था, और मैं इस बात से अनजान थी।
सब ठीक चल रहा था, लेकिन एक सड़क हादसे ने मेरी दुनिया उजाड़ दी। उस हादसे में मेरे देवर विकास को तो मामूली चोटें आईं, पर मेरे पति अभिषेक हमेशा के लिए मुझे छोड़कर चले गए। मैं विधवा हो गई थी। कुछ महीनों बाद, मेरी देवरानी मीरा ने एक ऐसा प्रस्ताव रखा जिसने सबको हैरान कर दिया—उसने कहा कि मुझे उसके पति, यानी मेरे देवर विकास से शादी कर लेनी चाहिए। सबने उसकी बहुत तारीफ की कि उसने अपनी सौतन के लिए कितना बड़ा दिल दिखाया है। मैं भी बेबस थी, और बड़ों के दबाव में आकर मैंने हाँ कर दी।
सौतन बनी सहेली? एक अनकहा शक
शादी के बाद मेरी ज़िंदगी बदल गई। मेरा देवर, जो अब मेरा पति था, विकास, मुझसे बेइंतहा प्यार करता था। लेकिन सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बात मीरा का बदला हुआ व्यवहार था। जो देवरानी मुझसे जलती थी, वो अब मेरी सबसे अच्छी सहेली बन गई थी।
वो रोज़ रात को मेरे कमरे में देसी घी का पराठा और अंडे लेकर आती। साथ में एक गिलास दूध होता। वो कहती, “तुम्हें अपना ख्याल रखना होगा, भगवान तुम्हें जल्द औलाद देगा।” वो मेरे तकिये के नीचे पैसे रखकर जाती और कहती कि ये विकास ने तुम्हारे खर्चे के लिए दिए हैं। उसकी इतनी परवाह देखकर मैं हैरान थी, लेकिन मेरे दिल में एक अनजाना सा शक भी था। कोई औरत अपनी सौतन के लिए इतनी अच्छी कैसे हो सकती है?
अस्पताल का वो दिन और एक नर्स की फुसफुसाहट
मीरा अक्सर मुझे चेकअप के लिए एक डॉक्टर के पास ले जाती थी। एक दिन जब हम क्लिनिक में बैठे थे, तो एक नर्स मेरे पास आई और धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई, “आज अपनी सौतन को नींद की गोली मत खिलाना।”

यह सुनते ही मेरे पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। नींद की गोली? क्या वो रोज़ रात को मुझे दूध और पराठे में नींद की गोलियां मिलाकर देती थी? लेकिन क्यों? वो मेरे साथ क्या करना चाहती थी? मेरा दिमाग हज़ारों सवालों से भर गया। उसकी मीठी बातें और परवाह अब मुझे एक खतरनाक साज़िश लग रही थी।
जब सच सामने आया…
उस रात जब विकास घर आया, तो मैंने कांपते हुए उसे नर्स वाली सारी बात बता दी। विकास को भी यकीन नहीं हुआ, लेकिन मेरे चेहरे पर डर देखकर वह गंभीर हो गया। हमने मिलकर सच का पता लगाने का फैसला किया।
अगले दिन हम भेष बदलकर उसी डॉक्टर के पास गए और झूठ कहा कि हमें गर्भपात करवाना है। डॉक्टर तुरंत पैसों के लिए मान गई। हमने उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली और फिर उसे धमकी दी कि अगर उसने सच नहीं बताया तो हम उसे पुलिस के हवाले कर देंगे।
डर के मारे डॉक्टर ने जो सच बताया, उसे सुनकर हम दोनों की रूह कांप गई। उसने कबूल किया कि मीरा रोज़ उससे मेरे लिए दवाइयां लेती थी। वो दवाइयां नींद की गोलियां नहीं, बल्कि धीमा ज़हर (Slow Poison) थीं, जो धीरे-धीरे मेरे शरीर को अंदर से खोखला कर रही थीं ताकि मैं कभी माँ न बन सकूँ और बीमार होकर मर जाऊं।
उस शाम घर में सब कुछ बदल गया। विकास ने सबके सामने डॉक्टर का वीडियो चलाया और मीरा का सच सामने ले आया। मीरा ने भी अपना मासूमियत का नकाब उतार फेंका और चिल्लाकर बोली, “हाँ, मैं इसे मारना चाहती थी! तुम्हारी वजह से विकास ने मुझे कभी प्यार नहीं किया!”
ज़हर के बाद… ज़िंदगी
उस दिन मीरा हमेशा के लिए वो घर छोड़कर चली गई। उस भयानक सच ने मुझे तोड़ दिया था, लेकिन उसी सच ने मेरे और विकास के रिश्ते को हमेशा के लिए जोड़ दिया। हमने मिलकर एक बहुत बड़े धोखे का सामना किया था। विकास के दिल में मेरे लिए प्यार अब और भी गहरा हो गया था, और मुझे भी एहसास हुआ कि मेरी ज़िंदगी में प्यार ने एक बार फिर दस्तक दी है।

जिस ज़हर से वो मुझे बांझ बनाना चाहती थी, भगवान ने उसे भी बेअसर कर दिया। कुछ समय बाद, मेरे घर में दो जुड़वां बच्चों की किलकारियां गूंजीं—एक बेटा और एक बेटी। मैंने अपने बेटे का नाम अपने पहले पति के नाम पर ‘अभिषेक’ रखा।
कहानी से सीख (The Moral of the Story)
- चेहरे की मासूमियत पर कभी न जाएं: यह कहानी सिखाती है कि जो लोग बाहर से बहुत अच्छे और मासूम दिखते हैं, ज़रूरी नहीं कि वे अंदर से भी वैसे ही हों।
- तुलना रिश्तों में ज़हर घोल देती है: विकास की अपनी पत्नी की तुलना मुझसे करने की गलती ने ही मीरा के दिल में नफरत का ऐसा बीज बोया, जिसने उसे एक अपराधी बना दिया।
- सच्चा साथी मुश्किलों में ही पहचाना जाता है: विकास ने मुश्किल समय में मेरा साथ दिया और हम दोनों ने मिलकर सच्चाई का सामना किया। यही सच्चे रिश्ते की पहचान है।
- बुराई का अंत बुरा ही होता है: मीरा ने मेरे लिए जो गड्ढा खोदा, आखिर में वो खुद ही उसमें गिर गई और अकेली रह गई।