मेरा नाम अनन्या है, और जब मेरी शादी विक्रम जी से हुई, तो मुझे लगा जैसे मुझे दुनिया की सारी खुशियाँ मिल गई हैं। विक्रम जी उम्र में मुझसे काफी बड़े थे, पर उनका शांत स्वभाव और ईमानदारी मेरे दिल को छू गई थी। हमारी नई-नई शादीशुदा ज़िंदगी प्यार और सुकून से भरी थी। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी अपनी ननद की साज़िश की कहानी यहीं से शुरू होने वाली थी। nanad ki saazish kahani
इस घर में एक और अहम सदस्य थीं—मेरी छोटी ननद, माया। माया बहुत मिलनसार थी, और जब मैं दुल्हन बनकर आई, तो उसने मेरा स्वागत अपनी सगी बहन की तरह किया। लेकिन कुछ ही हफ्तों में, उसका अपनापन मुझे अजीब लगने लगा।
एक अनजाना साया और बुझती हुई रोशनी
माया अक्सर बिना किसी काम के मेरे कमरे में आ जाती, घंटों बैठकर फिजूल की बातें करती या मेरी चीज़ों को घूरती रहती। सबसे अजीब बात यह थी कि रात में सोते वक्त मुझे अक्सर ऐसा महसूस होता जैसे कोई मेरे कमरे में मौजूद है, कोई साया जो मुझे देख रहा है। जब मेरी आँख खुलती, तो कमरे में मेरे और विक्रम जी के अलावा कोई नहीं होता।
यह डर तब और बढ़ गया जब मेरे गर्भवती होने की खबर आई। घर में खुशी का माहौल था, लेकिन उसी दिन से एक अजीब सिलसिला शुरू हुआ—हर रोज़ रात को हमारे कमरे का बल्ब गायब हो जाता। विक्रम जी रोज़ शाम को नया बल्ब लगाते, और सुबह वह फिर गायब मिलता। हम दोनों हैरान थे कि आखिर यह कौन कर रहा है और क्यों?
ननद का अजीब बर्ताव और गहराता शक
मेरी प्रेग्नेंसी के साथ-साथ, माया का व्यवहार और भी अजीब होता गया। एक दिन उसने मुझसे कहा, “भाभी, आपका और भाई का कोई मेल नहीं। कहाँ आप इतनी खूबसूरत और कहाँ भाई साहब!”nanad ki saazish kahani उसकी बातों में एक छिपा हुआ ज़हर था, जिसने मेरे दिल में शक का पहला बीज बो दिया।
वह रोज़ रात को मेरे लिए तेल मालिश करने आती, कहती थी कि इससे मुझे और बच्चे को आराम मिलेगा। लेकिन उसकी मालिश में न जाने कैसा जादू था, मालिश होते ही मैं गहरी नींद में सो जाती और सुबह उठने पर मेरा शरीर बुरी तरह थका हुआ महसूस होता, जैसे किसी ने मेरी सारी ऊर्जा निचोड़ ली हो।
विक्रम जी भी मेरे हर वक्त थके रहने और खोई-खोई रहने से परेशान होने लगे थे। हमारे बीच दूरियां बढ़ने लगी थीं।
चाय का वो प्याला और राज़ का पर्दाफाश
यह मेरे गर्भ के छठे महीने की बात है। मैं बल्ब गायब होने के रहस्य और अपनी बिगड़ती हालत से पूरी तरह टूट चुकी थी। एक शाम, माया मेरे लिए चाय बनाकर लाई। उसने कहा, “भाभी, आज मैंने आपके लिए खास चाय बनाई है।”
उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। मैंने चाय पीने से मना कर दिया और बहाना बनाकर कमरे से बाहर निकल गई। उस रात, मैंने सोने का नाटक किया। आधी रात को, जब मुझे लगा कि सब सो गए हैं, मैंने देखा कि माया दबे पाँव मेरे कमरे में आई। nanad ki saazish kahani उसने टेबल लैंप की हल्की रोशनी में बल्ब उतारा और चुपके से कमरे से बाहर निकल गई।
मेरा दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। मैंने हिम्मत की और उसका पीछा किया। वह घर के पीछे बने सुनसान खेत की तरफ जा रही थी, जहाँ कोई नहीं जाता था। वहाँ उसने एक घने पेड़ के पास गड्ढा खोदा और मेरे कमरे से चुराए हुए बल्बों से भरी एक टोकरी उसमें दबा दी!
यह देखकर मेरे होश उड़ गए। यह कैसा पागलपन था? वह बल्ब क्यों चुरा रही थी और उन्हें यहाँ क्यों दबा रही थी?
मैं छिपकर उसे देखती रही। वह खेत से आगे बढ़कर एक पुरानी, डरावनी गुफा की तरफ गई और अंदर गायब हो गई। मेरा डर चरम पर था, लेकिन मुझे सच जानना था। मैंने दुर्गा माँ का नाम लिया और कांपते हुए कदमों से गुफा के अंदर चली गई।
नफरत का वो चेहरा: काला जादू और ईर्ष्या
गुफा के अंदर का नज़ारा देखकर मेरी रूह कांप गई। एक भयानक शक्ल वाला तांत्रिक बैठा था, जिसके चारों तरफ इंसानी खोपड़ियां और अजीबोगरीब चीज़ें रखी थीं। और उसके सामने… मेरी ननद माया बैठी थी।

तभी माया की नफरत भरी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी, “तांत्रिक बाबा, मैं रोज़ उसके कमरे का बल्ब लाकर यहाँ दबा रही हूँ, पर अब तक कुछ नहीं हुआ! मैं चाहती हूँ कि उसका बच्चा इस दुनिया में आने से पहले ही खत्म हो जाए! जब से वह इस घर में आई है, मेरा पति भी मुझे उसी के ताने देता है। मुझसे मेरा सब कुछ छिन गया है!”
उस दिन मुझ पर राज़ खुला। माया की मीठी बातें और परवाह, सब एक नकाब था। वह मुझसे और मेरे आने वाले बच्चे से इतनी नफरत करती थी कि उसने काले जादू का सहारा लिया था। वो बल्ब चुराना, उन बल्बों को दफनाना, वो तेल की मालिश जिससे मैं बेहोश हो जाती थी—यह सब मेरे बच्चे को मारने की एक भयानक साज़िश थी।
मैं हिम्मत करके उसके सामने आ गई और उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। पहले तो वह पत्थर सी बन गई, फिर मेरे पैरों में गिरकर माफ़ी मांगने लगी। nanad ki saazish kahaniउसने कबूल किया कि विक्रम जी के मुझसे प्यार करने और उसकी तुलना मुझसे करने की वजह से वह ईर्ष्या की आग में जल रही थी।
कहानी से सीख (The Moral of the Story)
- ईर्ष्या एक ज़हर है: यह कहानी दिखाती है कि ईर्ष्या कैसे एक इंसान को अंधा बना सकती है और उसे गलत रास्ते पर ले जा सकती है, जहाँ सिर्फ बर्बादी है।
- तुलना रिश्तों को तबाह कर देती है: विक्रम का अपनी पत्नी माया की तुलना अनन्या से करना ही इस नफरत की जड़ बना। हमें कभी भी दो लोगों की तुलना नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर इंसान अपने आप में खास होता है।
- विश्वास और बातचीत ज़रूरी है: अगर अनन्या और विक्रम के बीच मज़बूत विश्वास होता और वे खुलकर बात करते, तो शायद यह नौबत ही न आती। किसी भी रिश्ते में शक की जगह बातचीत को देनी चाहिए।
- सच्चाई और अच्छाई की हमेशा जीत होती है: अनन्या ने हिम्मत नहीं हारी और सच्चाई का पता लगाया। उसकी अच्छाई और ईश्वर पर भरोसे ने ही उसे और उसके बच्चे को बचाया।
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