
अतीत का साया: मल्लाह का बेटा और राजघराने की बेटी
बहुत पुरानी बात है। एक नदी किनारे बसे गाँव में एक दिलेर और सच्चा लड़का रहता था, जिसका नाम था अमर। अमर मल्लाहों (नाविकों) के सरदार का बेटा था। उसका काम नदी में नाव चलाना और लोगों को पार उतारना था। उसकी मुस्कान और उसकी साहसिक कहानियाँ दूर-दूर तक मशहूर थीं।
उसी राज्य के राजा रघुनाथ सिंह की बेटी थी अहाना। अहाना सिर्फ एक राजकुमारी नहीं थी, बल्कि अपनी कला और दयालुता के लिए भी जानी जाती थी।
एक दिन, अहाना अपने सैनिकों के साथ नदी किनारे के मंदिर गई। वापसी में, उनकी नाव भँवर में फँस गई। तभी, अमर ने अपनी जान पर खेलकर उन्हें और उनके साथियों को सुरक्षित बाहर निकाला।

अहाना ने अमर के साहस को देखा और उसका दिल उस मल्लाह के बेटे पर आ गया। अमर भी उसकी सादगी और निडरता से प्रभावित हुआ। इसलिए, वे दोनों छुप-छुप कर नदी के गुप्त किनारों और सुनसान घाटों पर मिलने लगे। उनका प्रेम, नदी की धारा की तरह, अविरल बह रहा था।
सत्ता का विरोध: एक क्रूर फैसला
प्यार कभी छिप नहीं सकता। राजा रघुनाथ सिंह को जैसे ही इस रिश्ते का पता चला, वे आग-बबूला हो उठे। एक मल्लाह का बेटा, उनकी इकलौती बेटी से प्यार करे? यह राजघराने का अपमान था। सबसे पहले, राजा ने अहाना को महल के सबसे ऊँचे बुर्ज में कैद कर दिया।
राजा ने अमर को अपने दरबार में बुलाया। हालाँकि, अमर ने बिना डरे कहा, “महाराज, प्यार पद या धन नहीं देखता।” यह सुनकर राजा का क्रोध और बढ़ गया। परिणामस्वरूप, उन्होंने अमर को भयानक सज़ा सुनाई: उसे राज्य की सीमा से बाहर निकाल दिया जाए और अगर वह वापस आया, तो मौत मिलेगी।

अमर अपनी प्रेमिका की सलामती के लिए यह सज़ा स्वीकार करके राज्य से दूर चला गया। अहाना को जब यह पता चला, तो वह महल से भागी। दरअसल, वह अमर को जाते हुए देखना चाहती थी। वह नदी किनारे पहुँची, जहाँ अमर की नाव आखिरी बार खड़ी थी।
वहाँ सैनिकों ने उसे पकड़ लिया। ठीक उसी समय, राजा के आदेश पर अमर को तीर मार दिया गया। अमर अपनी आखिरी साँस में अहाना का नाम पुकारता रहा। अपने प्यार को आँखों के सामने मरता देख, अहाना ने वहीं नदी में कूदकर अपनी जान दे दी। इस तरह, उनके प्रेम का पहला अध्याय एक त्रासदी में खत्म हो गया।
पुनर्जन्म का रहस्य: आधुनिक शहर और पुराना दर्द
सदियाँ बीत गईं। उसी शहर में एक बड़ा और मशहूर व्यापारी पैदा हुआ, जिसका नाम था शौर्य। उधर, एक साधारण परिवार में एक लड़की जन्मी, जिसका नाम था मानवी।

दोनों आधुनिक जीवन जी रहे थे, पर उनकी आत्माएँ कहीं और अटकी हुई थीं। अचानक, दोनों को बार-बार एक ही भयानक सपना आने लगा: एक नदी, एक डूबती हुई नाव और एक चीख। यह उनके पिछले जन्म का अधूरा वादा था, जो उनकी नींदें चुरा रहा था।
एक कॉलेज के इवेंट में शौर्य की नज़र मानवी पर पड़ी। उस पल, उसे लगा जैसे समय रुक गया हो। मानवी की आँखें उसे बहुत जानी-पहचानी लगीं। मानवी ने भी शौर्य को देखते ही महसूस किया कि उसके अधूरे सपनों का नायक यही है।
धीरे-धीरे, दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई। उन्होंने अपने अजीब सपनों और उस अनजानी बेचैनी के बारे में बात की। दरअसल, उन्हें एहसास हो चुका था कि वे कोई और नहीं, बल्कि अमर और अहाना हैं, जो अब एक नई दुनिया में फिर मिले हैं।
प्यार की जीत: इस बार कोई जुदाई नहीं
लेकिन, कहानी ने फिर करवट ली। शौर्य एक बड़े व्यापारी का बेटा था, जबकि मानवी एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। शौर्य के पिता को यह रिश्ता गवारा नहीं था। वह अपने बेटे की शादी किसी बड़े औद्योगिक घराने में करवाना चाहते थे। इसलिए, उन्होंने शौर्य पर मानवी से दूर रहने का दबाव बनाया।
इस बार शौर्य ने अपने पिता के सामने झुकने से इनकार कर दिया। उसने अपने पिता को सीधे चुनौती दी: “मैं मानवी से ही शादी करूँगा। हमारी कहानी पिछली बार अधूरी रह गई थी, इस बार नहीं!” इसके साथ ही, मानवी के परिवार ने भी उनका साथ दिया।

पिछली बार की तरह, इस बार कोई क्रूर राजा या मृत्यु नहीं थी। सिर्फ सामाजिक सोच की दीवारें थीं। हालांकि, शौर्य और मानवी के सच्चे और अटूट प्रेम ने उन दीवारों को तोड़ दिया।
आख़िरकार, शौर्य के पिता को अपने बेटे के जुनून के आगे हार माननी पड़ी। शहर ने पहली बार देखा, एक बड़े व्यापारी के बेटे ने बिना किसी दहेज या सामाजिक रुतबे की परवाह किए, अपने दिल की सुनी।
जब शौर्य और मानवी ने सात फेरे लिए, तो ऐसा लगा जैसे सदियों से बिछड़ी हुई दो आत्माएँ एक हो गई हों। उनकी अमर प्रेम कहानी, जो नदी किनारे खत्म हुई थी, अब एक नए अध्याय के साथ हमेशा के लिए पूरी हो गई।
💡 कहानी की गहरी सीख (Moral of the Story)
प्रेम का चक्र सदा घूमता रहता है। अगर आपका प्रेम सच्चा है, तो यह हर जन्म में अपना रास्ता खोज लेता है। ज़रूरी नहीं कि हर बार तलवारें उठें; कभी-कभी, सामाजिक दबाव को तोड़कर सच बोलना ही सबसे बड़ी बहादुरी होती है। सच्चे प्रेम के आगे समाज, धन और समय सब फीके पड़ जाते हैं।
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