क्या प्यार सिर्फ गुलाब और चॉकलेट का नाम है? या फिर प्यार का मतलब इज़्ज़त और भरोसा होता है? मीरा और विक्रम की कहानी भी एक फ़िल्मी लव स्टोरी की तरह शुरू हुई थी। कॉलेज का वो रोमांस, वो कसमें और वो वादे।
लेकिन, शादी के सात साल बाद जो हुआ, उसने प्यार की परिभाषा ही बदल दी।
प्यार का वो खौफनाक चेहरा
मीरा को लगता था कि विक्रम उसका राजकुमार है। शुरुआत में, सब कुछ बहुत अच्छा था। मगर, धीरे-धीरे विक्रम का असली चेहरा सामने आने लगा। वह बात-बात पर मीरा पर चिल्लाता था।

एक दिन की बात है। मीरा ने चाय बनाई थी। शायद चीनी थोड़ी कम रह गई थी। बस फिर क्या था, विक्रम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। उसने मीरा के हाथ पर गर्म चाय फेंक दी। मीरा दर्द से कराह उठी। लेकिन, विक्रम को कोई फर्क नहीं पड़ा। क्या यही वह प्यार था, जिसके लिए मीरा ने अपने माता-पिता से बगावत की थी?
वह खामोश गवाह
मीरा घर के हर जुल्म को सहती रही। क्योंकि, उसे लगता था कि शायद विक्रम बदल जाएगा। घर में मीरा का दर्द समझने वाला सिर्फ एक इंसान था—उसके ससुर, दीनानाथ जी। हालाँकि, वह लकवे (Paralysis) के कारण बिस्तर पर थे और बोल नहीं सकते थे।
इसके बाद, मीरा पर अत्याचार बढ़ते गए। जब मीरा गर्भवती हुई, तो ससुराल वालों ने बेटे की चाहत में उस पर दबाव बनाया। बेटी पैदा हुई, तो उसे ताने मिले। मीरा का ‘प्यार’ अब उसका ‘पिंजरा’ बन चुका था। आखिरकार, एक रात विक्रम ने उसे इतना मारा कि मीरा अधमरी हो गई।
कोर्ट का ड्रामा और विक्रम की चाल
मीरा ने हिम्मत जुटाई। उसने पुलिस में शिकायत की और तलाक की अर्जी दी। अब, मामला कोर्ट में था। विक्रम बहुत चालाक था। उसने कोर्ट में एक नाटक रचा।
उसने जज के सामने रोते हुए कहा, “जज साहब, मैं मीरा से बहुत प्यार करता हूँ। मैं उसे तलाक नहीं दूंगा। यह मेरे बच्चों की माँ है।”

वहाँ मौजूद हर कोई विक्रम की बातों में आ गया। यहाँ तक कि, मीरा की गवाह (पड़ोसन) भी पैसे लेकर मुकर गई। मीरा को लगा कि वह हार गई है। तभी, मीरा की वकील ने एक आखिरी पत्ता खेला।
सस्पेंस: वह आखिरी गवाह
वकील ने कहा, “हम एक और गवाह पेश करना चाहते हैं।” कोर्ट का दरवाज़ा खुला और व्हीलचेयर पर दीनानाथ जी अंदर आए।
विक्रम हक्का-बक्का रह गया। सब हैरान थे, क्योंकि दीनानाथ जी तो बोल ही नहीं सकते थे। जज ने पूछा, “यह गवाही कैसे देंगे?”
वकील ने उनके हाथ में एक मार्कर और बोर्ड थमा दिया। दीनानाथ जी का हाथ कांप रहा था। फिर, उन्होंने अपनी पूरी ताकत बटोरी। उन्होंने बोर्ड पर कांपते हुए अक्षरों में सिर्फ एक शब्द लिखा— “राक्षस”।
इसके बाद, उन्होंने लिखकर बताया कि कैसे उनका बेटा विक्रम, मीरा को जानवरों की तरह पीटता था। उन्होंने लिखा, “मेरी बहू देवी है और मेरा बेटा शैतान।”
इंसाफ की जीत और नई शुरुआत
पूरे कोर्ट में सन्नाटा छा गया। एक पिता ने अपने बेटे के ‘झूठे प्यार’ के खिलाफ ‘सच्चाई’ का साथ दिया था। उस दिन विक्रम का असली चेहरा दुनिया के सामने आ गया।
परिणामस्वरूप, जज ने विक्रम को जेल भेज दिया। मीरा को तलाक भी मिला और भारी हर्जाना भी।

लेकिन, असली जीत मीरा के आत्म-सम्मान की हुई। उसने समझ लिया था कि जो प्यार दर्द दे, वह प्यार नहीं हो सकता। अंत में, मीरा ने अपने बच्चों के साथ एक नई दुनिया बसाई, जहाँ डर नहीं, सिर्फ़ सुकून था।
❤️ कहानी से सीख (Moral of the Love Story)
सच्चा प्यार आपको ‘सुरक्षा’ देता है, ‘डर’ नहीं। अगर कोई रिश्ता आपकी आत्म-सम्मान (Self-respect) को चोट पहुँचाता है, तो उसे छोड़ देना ही बेहतर है। कभी-कभी खुद से प्यार करना (Self-love), किसी और से प्यार करने से ज्यादा ज़रूरी होता है।
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