शहर आर्यन को ‘नवाब’ कहता था। लेकिन आर्यन के लिए दुनिया सिर्फ मायरा में सिमटी थी। सात साल का इंतज़ार खत्म हुआ था। बचपन का प्यार अब जुनून बन चुका था। लेकिन उनकी मोहब्बत की सुबह एक काली ख़बर के साथ हुई। हेडलाइन छपी थी: “राजपूत घराने की नाजायज़ बेटी, नवाब आर्यन की बाहों में।” यह सिर्फ एक स्कैंडल नहीं था। यह एक जंग का ऐलान था।
साज़िश की आहट
इसके बाद, मायरा के पिता विक्रम सिंह गुस्से में उनके घर पहुँच गए। वे अपने रिश्ते का सच बताते, इससे पहले ही आर्यन के पास एक रिपोर्ट आई। मायरा को शक था। उसके पिता की तबीयत दवाइयों से सुधरने की बजाय बिगड़ रही थी। आर्यन ने दवाइयां टेस्ट करवाई थीं। रिपोर्ट चौंकाने वाली थी। विक्रम सिंह को धीमा ज़हर दिया जा रहा था।

शक की सुई सीधी मायरा की सौतेली माँ, अवंतिका पर गई। अवंतिका अपनी बेटी रिया की शादी आर्यन से करवाना चाहती थी। इसलिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार थी।
मोहब्बत या जान?
हालात तब बिगड़े। विक्रम सिंह अचानक बीमार पड़ गए और अस्पताल पहुँच गए। मायरा ने अस्पताल में अवंतिका को अपना जुर्म कबूल करते सुना। मायरा ने अवंतिका का सामना किया। तब अवंतिका ने अपना सबसे खतरनाक पत्ता खोला। “अगर तुमने आर्यन को नहीं छोड़ा, तो अगला निशाना वो होगा।” अवंतिका ने धमकी दी, “उसकी जान बचाना चाहती हो, तो उससे दूर हो जाओ।”

मायरा टूट गई। उसने आर्यन को बचाने के लिए ब्रेकअप की कोशिश की। लेकिन आर्यन ने उसे जाने नहीं दिया। “तुम मेरी हो। हम इस मुसीबत से साथ लड़ेंगे।”
शह और मात का खेल
आर्यन ने एक योजना बनाई। उन्होंने दुनिया को दिखाने के लिए ब्रेकअप का नाटक शुरू किया। यह नाटक उन दोनों के लिए किसी सज़ा से कम नहीं था। लेकिन अवंतिका को जाल में फंसाने के लिए यह ज़रूरी था। एक दिन, महल में उन्होंने जानबूझकर ज़ोरदार लड़ाई की। यह अवंतिका के सामने किया गया। अवंतिका को लगा वो जीत गई है। इसी जीत के नशे में उसने मायरा के सामने सब कुछ कबूल कर लिया। उसने अपना सारा प्लान और दवाइयां बदलने की बात भी मान ली।

हाँ, मैंने तुम्हारे पिता को बीमार किया ताकि आर्यन रिया का हो जाए,” अवंतिका ने अहंकार से कहा। लेकिन अवंतिका अनजान थी। मायरा ने चालाकी से अपना फोन स्पीकर पर रखा हुआ था। विक्रम सिंह समेत पूरा परिवार बाहर खड़ा था। वे सब कुछ सुन रहे थे। इस तरह, अवंतिका रंगे हाथों पकड़ी गई।”हाँ, मैंने तुम्हारे पिता को बीमार किया ताकि आर्यन रिया का हो जाए,” अवंतिका ने अहंकार से कहा। लेकिन अवंतिका अनजान थी। मायरा ने चालाकी से अपना फोन स्पीकर पर रखा हुआ था। विक्रम सिंह समेत पूरा परिवार बाहर खड़ा सब कुछ सुन रहा था। इस तरह, अवंतिका रंगे हाथों पकड़ी गई।
प्यार की जीत
अवंतिका रंगे हाथों पकड़ी गई। उसका झूठ और फरेब सबके सामने आ गया। इसलिए उसे घर से निकाल दिया गया। इसके बाद, विक्रम सिंह की सेहत सुधरने लगी। मुश्किलें खत्म हो चुकी थीं। कुछ महीनों बाद एक शानदार शाम आई। आर्यन ने घुटनों के बल बैठकर मायरा से कहा। “मेरी जिंदगी की हर साज़िश का एक ही जवाब है – तुम। क्या तुम हमेशा के लिए मेरी बनोगी?”

मायरा की हाँ में सात जन्मों का वादा था। उस रात, सिर्फ दो दिल नहीं मिले थे, बल्कि सच ने फरेब पर जीत हासिल की थी।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
सच्चा प्यार सिर्फ पाना नहीं, बल्कि हर कीमत पर उसे बचाना भी है। जब रिश्ते में विश्वास अटूट हो, तो दुनिया की कोई भी साज़िश या धमकी उसे खत्म नहीं कर सकती। मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हों। अगर हिम्मत और समझदारी से काम लिया जाए, तो जीत हमेशा सच्चे प्यार की ही होती है।
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