आग का साया: एक अनकही प्रेम कहानी

नंदिनी, 16 साल की किशोरी, जिसकी खूबसूरती कमल के फूल-सी थी। 5 फीट 2 इंच की ऊंचाई, मस्ती भरी आंखें, गोलमटोल गाल, और शहतूत-से रसीले होंठ—उसका चेहरा देखकर हर कोई रुक जाता। 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं सिर पर थीं, और नंदिनी को गणित और अंग्रेजी में मार्गदर्शन चाहिए था। वह मेधावी नहीं थी, पर मेहनती थी। उसने अपनी मां से कहा कि पड़ोस के कॉलेज में पढ़ने वाले विराट को बुलाएं, जो पहले ही 10वीं पास कर चुका था और अपनी पढ़ाई में तेज था। मां ने बात की, और विराट हर शाम 7 से 9 बजे तक पढ़ाने को राजी हो गया।

पहली मुलाकात में ही विराट का व्यक्तित्व नंदिनी को भा गया। 25 साल का विराट, 6 फीट लंबा, सुगठित शरीर, गेहूंआ रंग, और क्लीन शेव चेहरा—उसकी मुस्कान में जादू था। “डरने की जरूरत नहीं, हम दोस्तों की तरह पढ़ेंगे,” उसने कहा, और नंदिनी की झिझक पल में गायब हो गई। पहला दिन चुटकुलों और हल्की बातों में बीता। मां ने चाय के लिए रोका, और विराट अगले दिन आने का वादा कर चला गया।

दो हफ्ते तक सब सामान्य रहा। विराट समय का पक्का, पढ़ाने में माहिर। नंदिनी उनकी दीवानी हो चुकी थी। एक शाम, गणित की एक्सरसाइज के दौरान मां चाय लाई। नंदिनी ने चाय की प्याली विराट को दी, लेकिन हाथ कांपने से चाय उनकी शर्ट-पैंट पर गिर गई। घबराई नंदिनी तौलिया लाई, “माफ कीजिए” कहते हुए पोंछने लगी। विराट मुस्कुराए, “चाय से नहीं जला, पर तुम जलाकर मार डालोगी।” नंदिनी समझ न सकी, शर्मिंदगी में आंसू आ गए। विराट ने उसे गले लगाया, माथे पर चुंबन दिया, “पगली, रो क्यों रही हो? ये तो हादसा है।” फिर हंसते हुए, “ऐसे हादसे रोज करो!” माहौल हल्का हुआ, पर नंदिनी का दिल धड़कने लगा। उस रात वह सपनों में खो गई—विराट के साथ नदियों, पार्कों, पहाड़ों, और समुद्र तटों की सैर करती रही।

अगली शाम, नहाकर निकली नंदिनी के गीले बालों पर विराट की नजरें ठहरीं। पढ़ाई के दौरान वह बार-बार उसे देखता। नंदिनी को प्यार का अहसास होने लगा, पर समझ नहीं थी कि यह क्या है। गणित सुलझाते वक्त वह अनजाने में विराट के करीब थी। रात 9 बजे विराट ने कहा, “नंदिनी, तुम बहुत सुंदर लग रही थी।” उनके शब्द रात भर गूंजते रहे। अगले दिन बिजली चली गई। अंधेरे में विराट ने उसका हाथ थामा, “मोतियों की माला थोड़ी पिरोनी है, बातें करते हैं।” नंदिनी खुश थी, पर डर भी था। वह टॉयलेट के बहाने उठी, लेकिन डगमगा गई। विराट ने सहारा दिया। बिजली आई, पर विराट चले गए, कहकर कि सिर दर्द कर रहा है। नंदिनी रात भर सोचती रही—क्या हुआ?

अगले दिन विराट नहीं आए। मां ने पड़ोसियों से पता किया, तो मालूम हुआ कि विराट को तेज बुखार है। सुबह नंदिनी मां के साथ उनके घर गई। विराट बिस्तर पर थे। मां और पड़ोस की शांति आंटी बातों में व्यस्त थीं। शांति आंटी ने बताया कि उनकी सहेली की बेटी की शादी में जाना है, पर विराट की हालत की वजह से नहीं जा सकतीं। नंदिनी ने मौका देखा, “आंटी, आप जाएं, मैं विराट का ख्याल रख लूंगी।” मां और आंटी को मना लिया गया। अकेले में, विराट ने आंखें खोलीं, “नंदिनी, तुमने मुझे जला डाला। ये बुखार नहीं, तुम्हारे प्यार की आग है।” उसने नंदिनी का हाथ अपने माथे पर रखा—वह तप रहा था। दोनों खोए थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई। पड़ोसी सुमित्रा आंटी दवाइयां लाई थीं। माहौल बदल गया। विराट ने कहा, “मुझे आराम करना चाहिए, तुम पढ़ो।”

अगले दिन नंदिनी फिर गई। विराट बेहतर थे। उसने पूछा, “कल आप अचानक क्यों चले गए?” विराट ने टाला, “सिर दर्द था।” शांति आंटी ने नंदिनी से विराट की देखभाल करने को कहा। नंदिनी अब रोज दोपहर सूप बनाती, कहानियां सुनाती। पढ़ाई बहाना थी; बातें सपनों और भविष्य की होती थीं। एक दिन, लोककथा सुनाते वक्त विराट ने उसका हाथ थामा, “नंदिनी, तुमने मेरी जिंदगी में रोशनी भरी है।” वह कुछ और कहने वाला था कि फिर दस्तक हुई—मां और शांति आंटी लौट आईं। नंदिनी शर्मा गई, पर विराट की आंखों में वादा था।

कुछ दिन बाद विराट ठीक हुए, पढ़ाई शुरू हुई। उनके बीच अनकहा प्यार था। नजरें मिलतीं, स्पर्श में गर्माहट थी। एक शाम, नंदिनी ने हिम्मत की, “विराट, आप उस दिन क्या कहने वाले थे?” विराट मुस्कुराए, “तुम मेरी सबसे अच्छी शिष्या हो।” फिर फुसफुसाए, “और मैं तुम्हें अपनी जिंदगी की सबसे खास दोस्त बनाना चाहता हूं। क्या तुम मेरा हाथ थामकर जीवन भर चलोगी?” नंदिनी का दिल खुशी से नाच उठा। उसने मुस्कुराकर उनका हाथ थामा।

सस्पेंस का खुलासा: सुमित्रा आंटी की दस्तक ने क्यों माहौल बदला? असल में, विराट को डर था कि उनका प्यार गलत समझा जाएगा, क्योंकि नंदिनी नाबालिग थी। उसने अपनी भावनाओं को दबाया, पर नंदिनी की देखभाल ने उसे हिम्मत दी। लेकिन एक और रहस्य था—विराट का बुखार सिर्फ बीमारी नहीं था। वह कॉलेज में एक बदमाश, रवि, से उलझ गया था, जो नंदिनी को परेशान करता था। रवि ने विराट को धमकी दी थी कि वह नंदिनी की बदनामी करेगा। विराट ने नंदिनी को बचाने के लिए चुपके से रवि से भिड़ंत की, जिसमें उसे चोट लगी और बुखार आ गया। उसने यह बात नंदिनी से छिपाई, ताकि वह डरे नहीं। जब नंदिनी को बाद में पता चला, तो उसका प्यार और गहरा हो गया।

सीख: सच्चा प्यार हालातों से नहीं डरता, पर उसे समय और मर्यादा की जरूरत होती है। नंदिनी और विराट की कहानी सिखाती है कि प्यार में धैर्य और विश्वास सबसे बड़ी ताकत हैं। दूसरों की रक्षा के लिए चुपके से लड़ी गई लड़ाइयां प्यार को और मजबूत करती हैं। सच्चाई और सम्मान के साथ बंधा प्यार हमेशा जीतता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top