सपने वो नहीं जो टूट जाएं, सपने वो हैं जो मुश्किलों से लड़कर हकीकत बन जाएं। आंचल और अंबिका, दो बहनों ने अपने सपनों और प्यार के लिए हर बाधा को पार किया। लेकिन आंचल को मिला वो रहस्यमयी खतरा क्या था? और अंबिका की बगावत क्या सचमुच सब कुछ बर्बाद कर देगी? क्या ये बहनें अपने माता-पिता की सोच बदल पाएंगी, या कोई आखिरी ट्विस्ट उनकी जिंदगी को फिर से उलझा देगा? आइए, इस कहानी का आखिरी मोड़ देखते हैं…

आंचल की जीत
आंचल अपने बी.एड. के इम्तिहान में जी-जान से मेहनत कर रही थी। पीजी में रहते हुए उसने दिन-रात पढ़ाई की। अनिरुद्ध और वृंदा का साथ उसे हर कदम पर हिम्मत दे रहा था। आखिरकार, इम्तिहान का दिन आया। आंचल ने पूरे आत्मविश्वास के साथ पेपर दिए। कुछ हफ्तों बाद, जब रिजल्ट आया, तो आंचल का नाम टॉपर्स की लिस्ट में था। उसकी मेहनत रंग लाई थी।
वृंदा ने उसे फोन करके चिल्लाकर कहा, “आंचल! तू पास हो गई! तूने तो कमाल कर दिया!”
आंचल की आंखों में खुशी के आंसू थे। उसने कहा, “वृंदा, ये सब तुम और अनिरुद्ध की वजह से हुआ। तुम लोगों ने मुझे कभी हार नहीं मानने दी।”
उसी दिन, आंचल को जीके एस इंटरनेशनल स्कूल से टीचर की जॉब का ऑफर लेटर मिला। उसका सपना सच हो गया था। लेकिन उसका मन अभी भी भारी था। मां-पापा का गुस्सा और अंबिका का घर छोड़ना उसे अंदर तक तोड़ रहा था।
उसी शाम, अनिरुद्ध आंचल से मिलने पीजी आया। उसने कहा, “आंचल, मैं तुम्हें कुछ कहना चाहता हूँ। मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जियो, और मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूँ।”

आंचल की आंखें नम हो गईं। उसने हल्के से कहा, “अनिरुद्ध, मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ। लेकिन मां-पापा… वो कभी नहीं मानेंगे। और अंबिका… मुझे नहीं पता वो कहाँ है।”
अनिरुद्ध ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “चिंता मत करो। हम अंबिका को ढूंढ लेंगे, और तुम्हारे मां-पापा को भी मनाएंगे। बस तुम हिम्मत मत हारो।”
अंबिका का सच
उधर, अंबिका आकाश के दोस्त के पीजी में रह रही थी। उसने अपनी सीए की पढ़ाई तेजी से पूरी की और एक अच्छी फर्म में इंटर्नशिप हासिल कर ली। लेकिन उसका मन भी बेचैन था। उसे अपनी दीदी आंचल की चिंता थी। एक दिन, आकाश ने अंबिका से कहा, “अंबिका, तुम्हें अपने मां-पापा से बात करनी चाहिए। वो तुम्हारी दीदी को बहुत दुख दे रहे हैं। और तुम्हारा घर छोड़ना उनके लिए बड़ा झटका था।”
अंबिका ने गहरी सांस ली और कहा, “आकाश, मैं जानती हूँ कि मैंने जल्दबाजी की। लेकिन मैं उनके दबाव में नहीं जी सकती थी। मैं दीदी से मिलूंगी और सब ठीक करूंगी।”

अंबिका ने आंचल को फोन किया। “दीदी, तुम कहाँ हो? मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ।”
आंचल ने रोते हुए कहा, “अंबिका, तू ठीक है ना? मैं पीजी में हूँ। मां-पापा ने मुझे घर से निकाल दिया।”
अंबिका का गुस्सा फिर भड़क उठा। “ये सब बहुत गलत हो रहा है, दीदी। मैं तुमसे मिलने आ रही हूँ।”
रहस्यमयी शख्स का सच
आंचल और अंबिका की मुलाकात पीजी में हुई। अंबिका ने आंचल को गले लगाया और कहा, “दीदी, मुझे माफ कर दो। मेरी बगावत की वजह से तुम्हें इतना दुख सहना पड़ा।”
आंचल ने कहा, “अंबिका, इसमें तेरी गलती नहीं है। लेकिन मुझे एक रहस्यमयी शख्स ने कहा कि तुम्हारी वजह से सब बर्बाद हो जाएगा। वो कौन था?”
तभी अनिरुद्ध वहाँ आया और बोला, “आंचल, मुझे लगता है मुझे उस शख्स का पता है।”
अनिरुद्ध ने बताया कि वो शख्स साहिल का दोस्त रवि था। रवि को अंबिका से प्यार था, और वो नहीं चाहता था कि अंबिका आकाश से शादी करे। उसने चिट्ठियाँ और कॉल्स के जरिए आंचल को डराने की कोशिश की थी ताकि अंबिका अपनी बगावत छोड़ दे। अनिरुद्ध ने रवि से बात की थी, और रवि ने अपनी गलती मान ली थी।
आंचल और अंबिका हैरान थीं। अंबिका ने गुस्से में कहा, “ये रवि कौन होता है मेरी जिंदगी में दखल देने वाला? मैं आकाश से प्यार करती हूँ, और यही मेरा सच है।”
माता-पिता का बदलाव
आंचल और अंबिका ने फैसला किया कि वो अपने माता-पिता से बात करेंगी। वो दोनों घर लौटीं और शारदा-बहादुर सिंह के सामने खड़ी हुईं। आंचल ने हिम्मत जुटाकर कहा, “मां, पापा, मैंने बी.एड. पास कर लिया है और जीके एस इंटरनेशनल स्कूल में टीचर बन गई हूँ। मैं अनिरुद्ध से प्यार करती हूँ, और वो मेरे साथ हर कदम पर रहा है।”

अंबिका ने कहा, “और मैं अपनी सीए की पढ़ाई पूरी कर रही हूँ। मैं आकाश से प्यार करती हूँ, और हम शादी करना चाहते हैं। आप हमें रोक नहीं सकते।”
शारदा और बहादुर सिंह चुप थे। उनकी आंखों में आंसू थे। शारदा ने कहा, “हमने तुम दोनों को बहुत दुख दिया। हमें लगता था कि शादी ही तुम्हारा भविष्य है। लेकिन तुमने हमें गलत साबित किया।”
बहादुर सिंह ने कहा, “हमें माफ कर दो। हम तुम्हारी शादी के लिए तैयार हैं। बस तुम दोनों खुश रहो।”
आंचल और अंबिका की आंखें नम हो गईं। उन्होंने अपने माता-पिता को गले लगाया। उसी दिन, अनिरुद्ध और आकाश भी वहाँ आए। दोनों परिवारों ने मिलकर आंचल-अनिरुद्ध और अंबिका-आकाश की सगाई की बात पक्की की।
सुखद अंत
कुछ महीनों बाद, आंचल जीके एस इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लगी। उसकी मेहनत और लगन देखकर हर कोई उसकी तारीफ करता था। अनिरुद्ध और आंचल की शादी धूमधाम से हुई। अंबिका ने अपनी सीए की पढ़ाई पूरी की और एक बड़ी फर्म में जॉब शुरू की। आकाश और अंबिका की शादी भी खुशी-खुशी हुई।

वृंदा और सतीश की दोस्ती भी प्यार में बदल गई, और वो भी जल्द ही शादी करने वाले थे। आंचल और अंबिका ने अपने सपनों को पूरा किया और अपने प्यार को भी पा लिया। उनके माता-पिता को अब अपनी बेटियों पर गर्व था।
लेकिन एक सवाल अभी भी बाकी था। क्या कोई आखिरी ट्विस्ट बचा था? एक दिन, आंचल को एक और चिट्ठी मिली। उसमें लिखा था, “बधाई हो, तुमने अपने सपनों को जीत लिया। लेकिन जिंदगी में अभी और मोड़ बाकी हैं।”
आंचल ने मुस्कुराकर चिट्ठी को रख दिया। उसे अब डर नहीं था। वो जानती थी कि चाहे जिंदगी में कितने ही मोड़ आएं, वो और अंबिका हर मुश्किल से लड़ सकती थीं।
समाप्त।
आंचल और अंबिका की कहानी यहीं खत्म होती है। लेकिन उनके सपनों और प्यार की जीत हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो अपने रास्ते खुद चुनती है।