परिचय
रुचि, एक 25 साल की खूबसूरत और मेहनती नर्स, जिसने अपने दयालु स्वभाव और समर्पण से सरकारी अस्पताल में सबका दिल जीता। उसका नियम था – काम पर सिर्फ काम, न कोई बात, न कोई नजर।

लेकिन तकदीर ने उसके लिए एक ऐसा खेल रचा, जिसमें प्यार, सस्पेंस और दिल की धड़कनें एक साथ दौड़ पड़ीं। यह कहानी है रुचि और एक रहस्यमयी नौजवान की, जिसके जख्मी हाथ ने न सिर्फ उसका ध्यान खींचा, बल्कि एक ऐसी पहेली बुन दी, जिसे सुलझाने में रुचि का दिल और दिमाग दोनों उलझ गए।
जख्मी हाथ और चमकती आँखें
एक सुबह, अस्पताल में हड़कंप मच गया जब एक नौजवान को बुरी तरह घायल हाथ के साथ लाया गया। डॉक्टर ने रुचि को बुलाया, “रुचि, यूनिफॉर्म बाद में, पहले इसकी पट्टी करो!” रुचि जैसे ही उसके पास पहुंची, उसकी गहरी, चमकती आँखों ने उसे एक पल के लिए ठिठका दिया। उन आँखों में एक अजीब सी पुकार थी, जो रुचि को बेचैन कर गई। उसने कहा, “सर, पहले पट्टी करवा लें, दर्द हो रहा होगा।” लेकिन उसने जवाब दिया, “प्लीज, पट्टी रहने दो। तुम्हारा हाथ लगते ही दर्द गायब हो गया।” रुचि हैरान थी, लेकिन उसने मुस्कुराकर जख्म साफ किया और पट्टी बांधी।

पूरे दिन वह नौजवान की चमकती आँखें उसके दिमाग में घूमती रहीं। छुट्टी के बाद, अस्पताल से निकलते वक्त उसने देखा – वही नौजवान एक सफेद कार में बैठा उसे देख रहा था। रुचि ने उसे नजरअंदाज किया, लेकिन उसका चेहरा उसके दिल से नहीं गया।
सस्पेंस की शुरुआत
अगले दिन, रुचि के अस्पताल पहुंचते ही वही नौजवान फिर हाजिर। डॉक्टर ने कहा, “रुचि, इसे फिर चोट लगी है।” रु Pचि को शक हुआ – यह कोई संयोग नहीं। उसने ना चाहते हुए भी पट्टी की, और सख्ती से कहा, “सर, अब तीन दिन बाद आना।” उसने जवाब दिया, “क्यों? मेडिकल नियम या तुम्हारा दिल?” रुचि गुस्से में चुप रही। लेकिन अगले दिन वह फिर आया, इस बार दूसरे हाथ पर गहरी चोट के साथ। रुचि ने पूछा, “यह चोट कैसे लगी?” उसने रहस्यमयी अंदाज में कहा, “तुम्हें न देखने की सजा।”

रुचि का शक गहरा गया। क्या यह नौजवान जानबूझकर खुद को चोट पहुंचा रहा था? और अगर हां, तो क्यों? उसकी बातों में प्यार था, लेकिन उसका बार-बार आना और चोटें एक अनसुलझी पहेली बन गईं। उसने रुचि से कहा, “तुम्हें देखने का बहाना चाहिए, वरना मेरा दिल बेचैन हो जाता है।” रुचि ने मजाक में कहा, “कल मैं छुट्टी लूंगी, फिर?” उसने जवाब दिया, “प्लीज, ऐसा जुल्म न करो।”
प्यार या पहेली?
रुचि ने उसे अपना नंबर दे दिया, शर्त के साथ कि वह सिर्फ “नमस्ते” कहेगा और फोन काट देगा। लेकिन एक रात, 2 बजे उसका मैसेज आया, “क्या तुम जाग रही हो?” रुचि ने जवाब नहीं दिया, लेकिन अगले दिन उसने माफी मांगी। धीरे-धीरे उनकी बातें बढ़ने लगीं। रुचि को उसकी आवाज, उसकी बातें अच्छी लगने लगीं। लेकिन सस्पेंस कम नहीं हुआ। एक दिन उसने फिर चोट के साथ अस्पताल पहुंचकर कहा, “तुमने रात को बात नहीं की, तो मैंने खुद को सजा दी।” रुचि के आंसू निकल आए। क्या यह प्यार था या कोई गहरा राज?

एक दिन, छुट्टी के मौके पर उसने रुचि को अपने दोस्त के घर बुलाया। वहां जाकर रुचि को लगा कि कुछ तो गलत है। उसका दोस्त, शाहिद, उसे “भाभी” कहकर बुला रहा था। जतिन ने दरवाजा बंद किया और रुचि को देखता रहा। रुचि ने कहा, “बस, अब घर चलें।” लेकिन जतिन का व्यवहार रहस्यमयी था। क्या वह सचमुच वही था, जो दिखता था?
सस्पेंस का खुलासा
एक दिन जतिन ने रुचि को बताया कि वह एक डॉक्टर है और उसे अस्पताल में नया हेड बनाया गया है। रुचि हैरान थी – उसने कभी नहीं बताया कि वह डॉक्टर है! क्या उसकी चोटें, उसका बार-बार आना, सब एक नाटक था? जतिन ने कहा, “रुचि, मैं तुमसे प्यार करता हूं। मैंने तुम्हारा ध्यान खींचने के लिए यह सब किया।” रुचि को गुस्सा भी आया, लेकिन उसका प्यार सच्चा लगा।

जतिन ने रुचि के माता-पिता से रिश्ते की बात की। पहले तो माता-पिता नहीं माने, लेकिन जतिन के प्यार और समर्पण ने उन्हें मना लिया। आखिरकार, रुचि और जतिन की शादी हो गई। उनके प्यार ने हर सस्पेंस को जीत लिया, और आज उनकी एक प्यारी बेटी, रुचि, के साथ वे खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।
निष्कर्ष
रुचि की कहानी प्यार, सस्पेंस और विश्वास की एक मिसाल है। जतिन का रहस्यमयी अंदाज और उसकी चोटों का राज एक अनोखी प्रेम कहानी बन गया। क्या आपने कभी ऐसी सस्पेंस भरी मोहब्बत देखी? अपने विचार कमेंट में जरूर शेयर करें!