उत्तर प्रदेश के शांतिपूर्ण गांव गोकुलपुर में, जहां गंगा की लहरें रात की खामोशी में फुसफुसाती थीं, राधा की जिंदगी एक साधारण लेकिन खुशहाल सपने की तरह थी। 12वीं कक्षा की छात्रा राधा, अपनी मासूम मुस्कान और चंचल स्वभाव से गांव की हर गली को रोशन करती थी। उसके भाई कृष्ण की शादी तय होने से घर में खुशी का माहौल था।

नई भाभी सविता के आने की उम्मीद ने राधा के दिल में रोमांच भर दिया। लेकिन किसे पता था कि यह शादी एक ऐसे रहस्य की शुरुआत होगी, जो राधा की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देगी?
शादी की तैयारियां पूरे गांव को त्योहार में बदल रही थीं। रामलाल और सीतामाई का घर आम के पत्तों, रोशनियों और मिठाइयों की खुशबू से महक रहा था। सविता, माधोपुर से आई खूबसूरत दुल्हन, अपनी बड़ी आंखों और चांदनी-सी मुस्कान से सबको मोहित कर रही थी। राधा हर रस्म में सविता के साथ थी—मेहंदी लगाती, फोटो खींचती, और विदाई में गले लगाती। “भाभी, अब ये तुम्हारा घर है,” राधा ने कहा। लेकिन विदाई के बाद घर का माहौल बदल गया। सीतामाई की ठंडी मुस्कान और रामलाल का सख्त रवैया राधा को अजीब लगा। कृष्ण को रामलाल ने कमरे में बुलाया, और सविता की नजरें बार-बार बंद दरवाजे पर टिकतीं।

रात गहराई, और कृष्ण ने सविता से कहा, “बाबा तुम्हें बुला रहे हैं।” राधा के कानों में ये शब्द बम की तरह फटे। शादी की पहली रात को ससुर बहू को क्यों बुलाता है? सविता का चेहरा सफेद पड़ गया, लेकिन वह चली गई। राधा झांककर देखती रही—सविता रोते हुए लौटी, उसकी आंखें भय से भरीं। सुबह सीतामाई सविता पर चिल्लाईं, “नाश्ता बना! दहेज नहीं लाई, अब काम तो करो।” द्रोपदी ने ताने कसे, “हमारी नाक कट गई।” राधा को दुख हुआ—सविता का कम दहेज उसकी पीड़ा का कारण था। लेकिन रातें और डरावनी होती गईं। हर रात सविता रामलाल के कमरे में जाती, और लौटकर रोती। राधा सोचती, आखिर क्या राज है?

एक रात राधा किचन गई, तो सविता फोन पर रो रही थी, “मुझे यहां से निकालो। ससुर घटिया है।” राधा छिप गई। फिर छत पर सविता एक युवक से गले लगी, “विक्रम, मुझे बचा लो। ये जेल है।” राधा के होश उड़ गए—ये विक्रम कौन? सविता का प्रेमी? कृष्ण ने राधा को पकड़ा, लेकिन राधा ने सविता को बचा लिया। अगले दिन सविता ने राधा को सच्चाई बताई: विक्रम उसका भाई है, चाचा ने घर से निकाला। “तेरे बाबा अच्छे नहीं, राधे। खुद देख लेना।” राधा ने फैसला किया—वह सविता बनकर रामलाल के कमरे में गई। रामलाल ने कहा, “आज आखिरी अनुष्ठान। बकरियां काट, खून जमा कर। इससे जिन्नात काबू में आएंगे, दौलत मिलेगी।”

राधा घूंघट उठाकर चिल्लाई, “बाबा, ये गुनाह है!” रामलाल सक्ते में आ गया। राधा की बातों से उसका जमीर जागा, और वह काले जादू से तौबा कर लिया। लेकिन असली रोमांस यहां से शुरू हुआ। विक्रम, सविता का भाई, एक मेहनती युवक, राधा से मिला। राधा की हिम्मत ने विक्रम को प्रभावित किया। छिपी मुलाकातों में वे बातें करते—गंगा किनारे, सपनों और भविष्य की। विक्रम की आंखों में राधा के लिए प्यार था, जो राधा के दिल को छू गया। लेकिन सस्पेंस बढ़ा जब विक्रम ने कहा, “मैं सविता को बचाऊंगा, लेकिन क्या तुम मेरा साथ दोगी?” राधा डरी, क्या विक्रम का कोई राज है?

सस्पेंस का खुलासा: विक्रम सविता का प्रेमी नहीं था, बल्कि उसका सच्चा भाई। लेकिन रामलाल का काला जादू एक गहरा राज छिपाता था—वह दहेज की लालच में सविता को फंसाना चाहता था, ताकि गोपीनाथ से और पैसे ऐंठ सके। विक्रम ने चुपके से सविता की मदद की, लेकिन राधा को देखते ही उसका दिल हार गया। सस्पेंस ये था कि विक्रम की रात की मुलाकातें सिर्फ बहन की मदद के लिए नहीं, बल्कि राधा से मिलने का बहाना भी बन गईं। जब राधा को पता चला कि विक्रम उसे बचपन से जानता था—एक बार गंगा में डूबते हुए बचाया था—तो उसका प्यार और गहरा हो गया।
राधा ने घरवालों को धमकाया, “विक्रम बदला लेगा।” रवैया बदला, सविता खुश हुई। राधा की शादी विक्रम से हुई, और दोनों ने मिलकर दो घर बसाए। गोकुलपुर में राधा की कहानी हर लड़की की प्रेरणा बनी।
सीख: सच्चा प्यार रहस्यों से नहीं डरता, बल्कि उन्हें सुलझाकर मजबूत होता है। राधा और विक्रम की कहानी सिखाती है कि हिम्मत और सच्चाई से बंधा प्रेम न सिर्फ खुद को बचाता है, बल्कि परिवार को भी एकजुट करता है। दहेज जैसी कुरीतियां प्यार को दागदार न करें; सम्मान और विश्वास से बनी नींव ही सच्ची खुशी लाती है। कभी किसी की पीड़ा पर चुप न रहें—एक छोटा कदम बड़ा बदलाव ला सकता है।