औरत का दुख – भाग 4: सपनों की उड़ान

सपने वो चिड़िया हैं, जो पिंजरे में कैद होने के बावजूद उड़ने की हिम्मत रखती हैं। आंचल और अंबिका, दो बहनें, अपने सपनों के लिए हर हद पार करने को तैयार थीं। लेकिन परिवार का गुस्सा और समाज की रूढ़ियां उनके रास्ते में दीवार बनकर खड़ी थीं। आंचल को मिली रहस्यमयी कॉल ने उसके मन में डर पैदा कर दिया था। क्या अंबिका की बगावत वाकई सब कुछ बर्बाद कर देगी? और अनिरुद्ध, जो आंचल की मदद कर रहा था, क्या वो उसका सच्चा साथी था? आइए, इस कहानी का अगला मोड़ देखते हैं…

A woman with wings trapped in a cage, but trying to fly out of it, symbolic art style, emotional and hopeful mood

इम्तिहान की तैयारी
साहिल के रिश्ते के टूटने के बाद आंचल के घर में माहौल और भारी हो गया था। शारदा और बहादुर सिंह आंचल को हर बात के लिए ताने मारते थे। “तूने कुछ तो किया होगा, तभी रिश्ता टूटा!” शारदा बार-बार यही दोहराती। आंचल चुपचाप सुनती और अपने कमरे में जाकर रोती। लेकिन उसका मन अब टूटने की कगार पर था। वह अपने बी.एड. के इम्तिहान की तैयारी में जी-जान से जुटी थी। उसे लगता था कि अगर वो पास हो गई, तो शायद मां-पापा उसे माफ कर दें।

वृंदा और अनिरुद्ध आंचल के लिए सबसे बड़ा सहारा बन चुके थे। वृंदा हर दिन उसे फोन करके हिम्मत देती, और अनिरुद्ध चुपके से स्टडी मटेरियल भेजता रहता। एक दिन, आंचल मंदिर के बहाने वृंदा के घर गई। वहां अनिरुद्ध ने उसे देखते ही कहा, “आंचल, तुम्हारा इम्तिहान अगले हफ्ते है, ना? मैंने तुम्हारे लिए कुछ मॉक टेस्ट पेपर्स तैयार किए हैं। इन्हें सॉल्व कर लो, बहुत फायदा होगा।”

आंचल ने मटेरियल लिया और हल्के से मुस्कुराई। “शुक्रिया, अनिरुद्ध। तुम मेरी इतनी मदद क्यों कर रहे हो? मैं तो बस वृंदा की दोस्त हूँ।”

अनिरुद्ध ने गहरी सांस ली और कहा, “आंचल, मुझे लगता है कि तुम बहुत खास हो। तुम्हारा सपना, तुम्हारी मेहनत… मैं बस चाहता हूँ कि तुम अपने पैरों पर खड़ी हो।”

आंचल का दिल धड़क उठा। अनिरुद्ध की आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जो उसे बेचैन कर रही थी। उसने जल्दी से नजरें हटाईं और कहा, “मुझे जाना है। मां इंतजार कर रही होंगी।”

लेकिन जैसे ही आंचल वृंदा के घर से निकलकर गली में आई, उसकी मां शारदा ने उसे देख लिया। शारदा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। “आंचल! ये क्या तमाशा है? तू मंदिर के बहाने यहाँ लड़कों से मिलने आती है? यही वजह थी कि साहिल का रिश्ता टूटा!”
आंचल ने रोते हुए कहा, “मां, ऐसा कुछ नहीं है। अनिरुद्ध वृंदा का भाई है, वो बस मेरी पढ़ाई में मदद कर रहा था।”

शारदा ने चिल्लाकर कहा, “बस! अब एक शब्द नहीं। आज से तेरा घर से निकलना बंद। और अगर तूने फिर कोई हरकत की, तो तुझे घर से निकाल दूंगी!”

अंबिका का फैसला
उधर, अंबिका अपने माता-पिता के रवैये से तंग आ चुकी थी। उसे लगता था कि मां-पापा सिर्फ अपनी इज्जत की परवाह करते हैं, बेटियों की खुशी की नहीं। उसका आकाश के साथ रिश्ता अब और गहरा हो चुका था। आकाश ने एक दिन अंबिका से कहा, “अंबिका, तुम्हारी दीदी की सगाई टूट चुकी है, और अब तुम्हारे मां-पापा तुम पर दबाव डाल सकते हैं। तुम क्या करोगी?”

अंबिका ने गुस्से में जवाब दिया, “मैं दीदी की तरह चुप नहीं रहूंगी। मैं अपनी सीए की पढ़ाई पूरी करूंगी, और तुमसे शादी करूंगी। मां-पापा चाहे जितना रोके, मैं नहीं रुकूंगी।”

आकाश ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “तू तो बिल्कुल जंगली बिल्ली है! लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूँ। बस, सावधान रहना। तुम्हारी मां को तुम्हारे बुके की बात अभी तक याद है।”

उसी शाम, जब अंबिका घर लौटी, तो शारदा ने उसे फिर डांटा। “अंबिका, तू दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। अगर तूने कोई गलत कदम उठाया, तो तेरी पढ़ाई बंद कर दूंगी।”

अंबिका ने गुस्से में जवाब दिया, “मां, मैं अपनी जिंदगी के फैसले खुद लूंगी। आप और पापा दीदी को पहले ही बहुत दुख दे चुके हैं। मुझे मत आजमाइए।”

शारदा ने गुस्से में कहा, “बस! तू आज ही घर छोड़ दे, अगर इतनी हिम्मत है!”

अंबिका ने बिना कुछ बोले अपने कपड़े और किताबें बैग में डालीं और घर से निकल गई। उसने आकाश को फोन किया और कहा, “आकाश, मैं घर छोड़ रही हूँ। मुझे तुम्हारे साथ रहना है।”

आकाश ने घबराते हुए कहा, “अंबिका, ठीक है, तुम मेरे दोस्त के पीजी में रुक सकती हो। लेकिन ये सब बहुत जल्दी नहीं हो रहा?”

अंबिका ने जवाब दिया, “जल्दी या देर, मैं अब पीछे नहीं हटूंगी।”

आंचल का टकराव
आंचल का इम्तिहान अब बस कुछ दिन दूर था। उसने मां-पापा की डांट के बावजूद चुपके से वृंदा के घर जाना जारी रखा। वृंदा और अनिरुद्ध ने उसे मॉक टेस्ट्स और नोट्स के साथ तैयार किया। एक दिन, जब आंचल और वृंदा स्टडी रूम में बैठे थे, अनिरुद्ध अचानक बोला, “आंचल, मुझे तुमसे कुछ कहना है।”

आंचल ने हैरानी से उसकी तरफ देखा। “क्या बात है, अनिरुद्ध?”

अनिरुद्ध ने हल्के से कहा, “मुझे लगता है कि मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ। मैं नहीं चाहता कि तुम किसी दबाव में अपनी जिंदगी जियो। तुम्हारा सपना, तुम्हारी खुशी… मेरे लिए ये सब मायने रखता है।”

आंचल का चेहरा लाल हो गया। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने हिचकिचाते हुए कहा, “अनिरुद्ध, मैं… मैं नहीं जानती क्या कहूं। मां-पापा कभी नहीं मानेंगे। और मेरे इम्तिहान…”

अनिरुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम बस अपने इम्तिहान पर ध्यान दो। बाकी सब मैं देख लूंगा।”

आंचल के मन में एक अजीब सी हलचल थी। अनिरुद्ध की बातों ने उसे हिम्मत दी, लेकिन साथ ही डर भी लग रहा था। क्या वो अनिरुद्ध पर भरोसा कर सकती थी? और अंबिका कहाँ चली गई थी?

उसी रात, जब आंचल घर लौटी, तो शारदा ने उसे फिर डांटा। “आंचल, तू फिर वृंदा के घर गई थी? मैंने तुझे मना किया था!”

आंचल ने हिम्मत जुटाकर कहा, “मां, मैं अपने इम्तिहान की तैयारी कर रही हूँ। मैं टीचर बनना चाहती हूँ। आप मुझे रोक नहीं सकतीं।”

शारदा गुस्से में चिल्लाई, “बस! तू भी अंबिका की तरह बगावत करेगी? बाहर निकल मेरे घर से!”

आंचल की आंखों में आंसू आ गए। उसने चुपचाप अपने कपड़े और किताबें लीं और घर से निकल गई। वृंदा ने उसे अपने दोस्त के पीजी में रुकने की जगह दी। लेकिन आंचल का मन बेचैन था। अंबिका कहाँ थी? और वो रहस्यमयी कॉल क्या था?

रहस्यमयी शख्स
पीजी में रहते हुए आंचल ने अपने इम्तिहान की तैयारी तेज कर दी। अनिरुद्ध हर दिन उससे मिलने आता और उसे हिम्मत देता। एक दिन, जब आंचल पीजी में अकेली थी, एक अनजान शख्स दरवाजे पर आया। उसने काले कपड़े पहने थे और चेहरा ढका हुआ था। उसने भारी आवाज में कहा, “आंचल, तुम्हारी जिंदगी खतरे में है। अपनी छोटी बहन को रोको, वरना सब खत्म हो जाएगा।”

आंचल ने डरते हुए पूछा, “आप कौन हैं? और अंबिका ने क्या किया?”

लेकिन वो शख्स बिना जवाब दिए चला गया। आंचल का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। ये शख्स कौन था? क्या अंबिका सचमुच कोई गलत कदम उठाने वाली थी? और अनिरुद्ध का इस सब में क्या रोल था? क्या आंचल अपने सपनों को पूरा कर पाएगी, या ये नया खतरा सब कुछ बर्बाद कर देगा?

जारी रहेगा…

अगले भाग में जानिए, आंचल उस रहस्यमयी शख्स का सच कैसे खोजती है, और अंबिका की बगावत क्या नया मोड़ लाएगी? क्या अनिरुद्ध और आंचल का प्यार परवान चढ़ेगा, या कोई नया तूफान आएगा? अगला मोड़ आपका इंतजार कर रहा है!

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