औरत का दुख – भाग 3: सगाई का तूफान

जिंदगी में कुछ फैसले दिल को तोड़ देते हैं, और कुछ फैसले नई राहें खोल देते हैं। आंचल और अंबिका, दो बहनें, अपने सपनों और परिवार की अपेक्षाओं के बीच फंसी थीं। आंचल को मिली दूसरी चिट्ठी ने उसके मन में साहिल के बारे में शक पैदा कर दिया था। क्या साहिल वाकई वो नहीं था जो वो दिख रहा था? और अनिरुद्ध, जो उसकी मदद कर रहा था, क्या उसका कोई छुपा मकसद था? इस कहानी का अगला मोड़ एक तूफान लाने वाला है…

सगाई की तैयारियां
रानीखेत के छोटे से मोहल्ले में बहादुर सिंह और शारदा के घर में हलचल थी। आंचल की सगाई की तैयारियां जोरों पर थीं। साहिल, बैंगलोर में नौकरी करने वाला लड़का, जिसने आंचल का फोटो देखकर हामी भरी थी, अगले रविवार को अपने परिवार के साथ आने वाला था। शारदा ने आंचल को बुलाकर कहा, “आंचल, ये लहंगा और जूलरी देख ले। सगाई में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। साहिल के माता-पिता बहुत अच्छे लोग हैं, और वो तुम्हें बहुत पसंद करते हैं।”

आंचल ने लहंगे को छूकर देखा, लेकिन उसका मन कहीं और था। उसकी आंखों में सपने थे – टीचर बनने के, अपने पैरों पर खड़े होने के। लेकिन मां-पापा की खुशी के लिए उसने चुपचाप सिर हिलाया। “ठीक है, मां।”

उधर, अंबिका अपनी दीदी की हालत देखकर गुस्से में थी। उसने आंचल से कहा, “दीदी, तुम इतनी आसानी से हार क्यों मान रही हो? साहिल को तुमने देखा भी नहीं, और तुम शादी के लिए तैयार हो? तुम्हारा सपना क्या, वो तो भूल ही गई!”

आंचल ने उदास स्वर में जवाब दिया, “अंबिका, मैं मां-पापा को दुखी नहीं करना चाहती। और वो चिट्ठी… मुझे लगता है कोई मुझसे मजाक कर रहा है।”

अंबिका ने भौंहें चढ़ाईं। “कौन सी चिट्ठी? तुमने मुझे बताया ही नहीं!”

आंचल ने हिचकिचाते हुए दूसरी चिट्ठी दिखाई, जिसमें लिखा था, “साहिल वो नहीं है जो तुम सोच रही हो। उसका सच जान लो, वरना सब बर्बाद हो जाएगा।” अंबिका ने चिट्ठी पढ़ी और गुस्से में बोली, “ये कोई साहिल को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है, या फिर कोई तुम्हें डराना चाहता है। दीदी, तुम्हें इसकी तह तक जाना चाहिए!”

आंचल ने कहा, “लेकिन कैसे? अगर मां-पापा को पता चला, तो वो और गुस्सा होंगे।”

अंबिका ने जोश में कहा, “तुम चिंता मत करो, मैं पता लगाऊंगी। लेकिन तुम ये शादी की बात अभी मत मानो।”

अनिरुद्ध की मदद
अगले दिन, आंचल फिर वृंदा के घर गई। वहां अनिरुद्ध ने उसे देखते ही मुस्कुराकर कहा, “आंचल, ये लो, तुम्हारे इम्तिहान के लिए कुछ और स्टडी मटेरियल। मैंने ऑनलाइन ढूंढा है, तुम्हें जरूर काम आएगा।”

आंचल ने मटेरियल लिया और हल्के से कहा, “शुक्रिया, अनिरुद्ध। तुम मेरी इतनी मदद क्यों कर रहे हो? तुम्हें मेरे इम्तिहान से क्या मतलब?”

अनिरुद्ध ने गहरी नजरों से उसे देखा और कहा, “मुझे लगता है कि तुम बहुत मेहनती हो, आंचल। तुम्हारा सपना पूरा होना चाहिए। और… शायद मुझे तुम्हारी फिक्र है।”

आंचल का चेहरा लाल हो गया। उसने जल्दी से नजरें हटाईं और कहा, “मुझे जाना है, वृंदा इंतजार कर रही होगी।”

लेकिन अनिरुद्ध की बातें आंचल के मन में गहरे उतर गई थीं। उसकी आवाज में एक अजीब सा सुकून था, जो आंचल को बेचैन कर रहा था। क्या अनिरुद्ध वाकई उसकी मदद करना चाहता था, या उसकी सगाई को लेकर कुछ और इरादा था?

उसी शाम, जब आंचल घर लौटी, तो उसे एक और कॉल आया। अनजान नंबर था। उसने डरते-डरते फोन उठाया। दूसरी तरफ से एक भारी आवाज आई, “आंचल, साहिल के बारे में सब कुछ जान लो। वो तुम्हारे लिए सही नहीं है।”

आंचल ने घबराते हुए पूछा, “आप कौन हैं? और आपको साहिल के बारे में क्या पता?”

लेकिन दूसरी तरफ से जवाब नहीं आया, और कॉल कट गया। आंचल का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। क्या ये वही शख्स था जिसने चिट्ठी भेजी थी? और साहिल का क्या राज था?

सगाई का टूटना
सगाई का दिन नजदीक आ रहा था। आंचल का मन उलझन में था। एक तरफ मां-पापा की खुशी, दूसरी तरफ उसका टीचर बनने का सपना। और अब ये रहस्यमयी चिट्ठियां और कॉल्स उसे और परेशान कर रहे थे। अंबिका ने आंचल से कहा, “दीदी, तुम्हें इस साहिल के बारे में पता करना चाहिए। अगर वो सही नहीं है, तो तुम्हें शादी से मना कर देना चाहिए।”

आंचल ने जवाब दिया, “लेकिन अंबिका, मां-पापा को कितना बुरा लगेगा। और अगर ये चिट्ठियां कोई मजाक हैं, तो?”

अंबिका ने गुस्से में कहा, “मजाक हो या सच, तुम्हें अपनी जिंदगी का फैसला खुद लेना होगा। मैं तो किसी के दबाव में नहीं आऊंगी।”

उसी रात, बहादुर सिंह के पास एक कॉल आया। साहिल के पिता थे। उन्होंने गंभीर स्वर में कहा, “भाई साहब, हमें माफ करें। साहिल किसी और से प्यार करता है। वो आंचल से शादी नहीं करना चाहता।”

बहादुर सिंह का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। “ये क्या बात हुई? आपने पहले क्यों नहीं बताया? अब सगाई की सारी तैयारियां हो चुकी हैं!”

साहिल के पिता ने कहा, “हमें अभी पता चला। साहिल ने हमें बताया कि उसका पहले से कोई रिश्ता है। हम माफी मांगते हैं।” और कॉल कट गया।

शारदा ने ये सुना तो वो गुस्से में चिल्लाई, “आंचल, ये सब तेरी वजह से हुआ! तूने जरूर कुछ किया होगा, तभी ये रिश्ता टूटा!”

आंचल ने रोते हुए कहा, “मां, मैंने कुछ नहीं किया। मेरा साहिल से कोई कॉन्टैक्ट भी नहीं था।”

लेकिन शारदा और बहादुर सिंह का गुस्सा कम नहीं हुआ। उन्होंने आंचल को खूब सुनाया। आंचल अपने कमरे में चली गई और रोने लगी। उसे शक था कि इस रिश्ते के टूटने में अनिरुद्ध का हाथ था। क्या अनिरुद्ध ने साहिल के परिवार से कुछ कहा था? या कोई और था जो ये सब कर रहा था?

अंबिका की जिद
उधर, अंबिका अपने माता-पिता के रवैये से तंग आ चुकी थी। उसे लगता था कि मां-पापा सिर्फ अपनी इज्जत की परवाह करते हैं, बेटियों के सपनों की नहीं। उसका आकाश के साथ रिश्ता अब गहरा हो चुका था। एक दिन, आकाश ने अंबिका से कहा, “अंबिका, तुम्हारी दीदी की सगाई टूट गई, और अब तुम्हारे मां-पापा तुम पर भी शादी का दबाव डाल सकते हैं। तुम क्या करोगी?”

अंबिका ने गुस्से में जवाब दिया, “मैं दीदी की तरह चुप नहीं रहूंगी। मैं अपनी सीए की पढ़ाई पूरी करूंगी, और तुमसे शादी करूंगी। मां-पापा चाहे जितना दबाव डालें, मैं नहीं झुकूंगी।”

आकाश ने मुस्कुराते हुए कहा, “तू तो बिल्कुल शेरनी है! लेकिन सावधान रहना, तुम्हारे मां-पापा को तुम्हारा बुके वाला किस्सा याद है।”

अंबिका ने हंसते हुए कहा, “देखते हैं, आकाश। मैं अपनी जिंदगी अपने तरीके से जिऊंगी।”

लेकिन उसी रात, जब अंबिका घर लौटी, तो शारदा ने उसे फिर डांटा। “अंबिका, तू दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। अगर तूने फिर कोई नौटंकी की, तो तेरी पढ़ाई बंद कर दूंगी।”

अंबिका ने गुस्से में जवाब दिया, “मां, मैं अपनी जिंदगी के फैसले खुद लूंगी। आप और पापा दीदी को पहले ही बहुत दुख दे चुके हैं। मुझे मत आजमाइए।”

रहस्य गहराता है
आंचल का मन पूरी तरह टूट चुका था। साहिल का रिश्ता टूटने से उसे राहत तो मिली थी, लेकिन मां-पापा का गुस्सा और इल्जाम उसे अंदर तक तोड़ रहे थे। वह अपने कमरे में बैठी सोच रही थी कि क्या अनिरुद्ध ने ये सब किया। उसने वृंदा को फोन किया और पूछा, “वृंदा, क्या तुम्हें पता है कि साहिल का रिश्ता क्यों टूटा? मुझे लगता है अनिरुद्ध ने कुछ किया है।”

वृंदा ने हैरानी से कहा, “अनिरुद्ध? अरे, वो तो बस तुम्हारी मदद करना चाहता है। लेकिन रुक, मैं उससे पूछती हूं।”

वृंदा ने अनिरुद्ध से बात की, लेकिन अनिरुद्ध ने कुछ नहीं बताया। उसने सिर्फ इतना कहा, “आंचल को कहना कि वो अपने इम्तिहान पर ध्यान दे। बाकी सब ठीक हो जाएगा।”

उसी रात, आंचल को फिर एक अनजान नंबर से कॉल आया। दूसरी तरफ से आवाज आई, “आंचल, तुम्हारी छोटी बहन अंबिका की वजह से सब बर्बाद हो जाएगा। उसे रोको, वरना तुम दोनों का सपना कभी पूरा नहीं होगा।”

आंचल का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। ये कॉल किसका था? अंबिका क्या करने वाली थी? और क्या अनिरुद्ध वाकई उसकी मदद कर रहा था, या उसके पीछे कोई और मकसद था? क्या आंचल अपने सपनों के लिए हिम्मत जुटा पाएगी, या परिवार का दबाव उसे तोड़ देगा?

जारी रहेगा…

अगले भाग में जानिए, आंचल उस रहस्यमयी कॉल का सच कैसे खोजती है, और अंबिका की बगावत क्या नया तूफान लाएगी? क्या अनिरुद्ध आंचल के लिए सिर्फ एक दोस्त है, या कुछ और? अगला मोड़ आपका इंतजार कर रहा है!

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