एक सच की तलाश

शुरुआत: एक अंधेरी रात

काली रात थी, आसमान में बादल गरज रहे थे, और बिजली की चमक चारों ओर फैल रही थी। शहर के बाहर, जंगल के किनारे एक पुराना हवेलीनुमा बंगला खड़ा था, जो किसी बड़े आदमी की संपत्ति जैसा लगता था। सन्नाटा ऐसा कि सुई गिरने की आवाज़ भी सुनाई दे जाए।

इसी बंगले के एक कमरे में, रिया अपनी आँखें खोलती है। उसका शरीर दर्द से चीख रहा था, और उसे बिस्तर से उठने की हिम्मत नहीं हो रही थी। जैसे ही वह उठने की कोशिश करती है, उसे एहसास होता है कि यह जगह उसकी नहीं है। ना उसका घर, ना किसी दोस्त का। “ये कहाँ हूँ मैं? मेरे कपड़े… मेरे कपड़े कहाँ हैं?” रिया के दिल में डर का तूफान उठने लगा।

उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे, और पूरे बदन में ऐसा दर्द जैसे कोई उसे तोड़ गया हो। “मेरे साथ क्या हुआ? मैं यहाँ कैसे आई?” रिया के दिमाग में सवालों का जंजाल था, लेकिन जवाब एक भी नहीं। वह घबराहट में रोने लगी, उसकी आवाज़ उस सुनसान बंगले में गूंज रही थी।

एक अनजान चेहरा

तभी कमरे का दरवाज़ा खुला, और एक लंबा, आकर्षक सा लड़का अंदर आया। रिया ने उसे देखते ही चीख पड़ी, “तुम कौन हो? मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगी!”

लड़के ने शांत स्वर में जवाब दिया, “मैं विक्रम सिंह राठौड़ हूँ। मैंने तुम्हारी जान बचाई है। तुम्हें यहाँ से अपने घर जाना चाहिए।”

“जान बचाई? तुम झूठ बोल रहे हो! मेरे साथ जो हुआ, उसका ज़िम्मेदार तुम ही हो!” रिया का गुस्सा और आँसुओं का मेल उसकी आवाज़ में साफ़ झलक रहा था।

विक्रम ने बिना कुछ और बोले, अपने ड्राइवर को बुलाया और रिया को घर भेजने का इंतज़ाम कर दिया। रिया के दिमाग में सिर्फ़ एक ही सवाल था, “विक्रम सिंह राठौड़, इतना बड़ा बिजनेसमैन, मेरे साथ ऐसा क्यों करेगा?”

घर की बेचैनी

रिया जब अपने घर पहुँची, तो उसके माता-पिता उसे देखकर परेशान हो गए। “रिया, इतनी रात कहाँ थी? तुम्हारा फोन भी बंद था!” उसकी माँ की आवाज़ में चिंता थी।

रिया ने टूटते हुए सब कुछ बता दिया। उसने बताया कि वह एक डिस्को में गई थी, लेकिन फिर क्या हुआ, उसे कुछ याद नहीं। वह विक्रम के गेस्ट हाउस में होश में आई थी, और उसे लगता था कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है।

उसके पिता ने हैरानी से कहा, “विक्रम सिंह राठौड़? बेटी, वह इतना बड़ा आदमी है। वह ऐसा क्यों करेगा? तुम्हें कुछ गलतफहमी हुई होगी।”

रिया गुस्से में बोली, “आपको अपनी बेटी पर भरोसा नहीं, उस पर है, जिसे आपने कभी देखा तक नहीं?”

सच की तलाश

रिया ने ठान लिया कि वह सच का पता लगाएगी। उसने पुलिस में शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन वहाँ भी उसे निराशा हाथ लगी। इंस्पेक्टर ने कहा, “तुम्हारे पास कोई सबूत नहीं है, और विक्रम सिंह राठौड़ जैसे आदमी के खिलाफ़ बिना सबूत कुछ नहीं हो सकता।”

रिया ने एक वकील से भी संपर्क किया, लेकिन वह भी बोला, “बिना सबूत के केस कमज़ोर है। और तुम कह रही हो कि तुम्हें कुछ याद नहीं। शायद तुम नशे में थीं।”

रिया को गुस्सा आया, “मैं नशा नहीं करती! मुझे बस सच चाहिए!”

लेकिन हर तरफ़ से निराशा मिलने के बाद, रिया ने उस रात को याद करने की कोशिश की। उसे याद आया कि वह अपनी दोस्त माया के साथ डिस्को जाने वाली थी। माया ने आखिरी पल में मना कर दिया था, क्योंकि उसकी मौसी की तबीयत खराब थी। रिया अकेले डिस्को गई थी, और फिर… फिर सब धुंधला हो गया।

एक नया मोड़

कुछ हफ्तों बाद, रिया को पता चला कि वह गर्भवती है। यह खबर उसके लिए एक और झटका थी। उसके माता-पिता सदमे में थे। रिया ने कहा, “मुझे इस बच्चे को नहीं रखना। लेकिन पहले मुझे सच पता करना है।”

वह उस डिस्को में गई, जहाँ वह उस रात थी, और सीसीटीवी फुटेज माँगी। लेकिन मैनेजर ने मना कर दिया, “मैडम, इतने दिन पुरानी फुटेज अब नहीं होती। और हमारी पॉलिसी के खिलाफ़ है।”

रिया को यकीन हो गया कि विक्रम ने ही सबूत मिटाए हैं। वह सीधे विक्रम की कंपनी पहुँची और रिसेप्शनिस्ट से बोली, “मुझे विक्रम से मिलना है। मैं उनके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।”

रिसेप्शनिस्ट ने हैरानी से उसे देखा, लेकिन विक्रम को बुला लिया। विक्रम ने गुस्से में कहा, “ये क्या बकवास है, रिया? मैंने तुम्हें पहले ही बताया कि मैंने कुछ नहीं किया। मैंने तुम्हें बस बचाया था।”

रिया ने जवाब दिया, “तुम झूठ बोल रहे हो! मेरे पास सबूत नहीं, लेकिन मैं सच सामने लाऊँगी।”

एक अनपेक्षित प्रस्ताव

अगले दिन, विक्रम रिया के घर पहुँचा। उसने कहा, “रिया, अगर तुम्हें लगता है कि मैं गलत हूँ, तो मैं तुम्हें समझा नहीं सकता। लेकिन मैं तुम्हारी ज़िंदगी बर्बाद नहीं होने दूँगा। अगर तुम चाहो, तो हम शादी कर सकते हैं।”

रिया के माता-पिता इस प्रस्ताव से खुश थे, लेकिन रिया के मन में शक था। “वह अपनी गलती छुपाने के लिए ऐसा कर रहा है।” फिर भी, वह शादी के लिए राज़ी हो गई, क्योंकि उसे अपने बच्चे के लिए एक भविष्य चाहिए था।

सच्चाई का खुलासा

शादी के बाद, रिया और विक्रम की ज़िंदगी सामान्य होने लगी, लेकिन रिया का मन शांत नहीं था। वह बार-बार विक्रम से उस रात का सच पूछती, लेकिन वह चुप रहता।

एक दिन, रिया को विक्रम का मेडिकल रिपोर्ट मिला, जिसमें उसका ब्लड ग्रुप ‘B पॉज़िटिव’ लिखा था। रिया का ब्लड ग्रुप ‘A पॉज़िटिव’ था, और उनकी बेटी का ब्लड ग्रुप ‘AB पॉज़िटिव’ था। रिया समझ गई कि यह बच्चा विक्रम का नहीं हो सकता।

वह रोते हुए अपनी माँ के पास गई और बोली, “मैंने विक्रम पर गलत इलज़ाम लगाया। वह बेगुनाह है।”

विक्रम ने उसे शांत करते हुए कहा, “रिया, मैंने तुम्हें पहले ही बताया था। उस रात मैं उसी डिस्को में था। तुम तीन अनजान लड़कों के साथ थीं। मैंने देखा कि तुम नशे में थीं। बाद में, मैंने तुम्हें एक सुनसान रास्ते पर बेहोश पाया। मैं तुम्हें अपने गेस्ट हाउस ले गया, ताकि तुम सुरक्षित रहो।”

रिया को अब सब समझ आ रहा था। उसने माया से बात की और पता चला कि माया ने उसे जानबूझकर अकेले डिस्को भेजा था। माया ने स्वीकार किया, “मैं तुमसे जलती थी, रिया। तुम हमेशा सबसे आगे थी। मैंने उन लड़कों को पैसे देकर तुम्हारे ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलवाया।”

अंत: एक नई शुरुआत

सच सामने आने के बाद, माया और उन तीन लड़कों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। रिया ने विक्रम से माफी माँगी, और दोनों ने अपनी बेटी के साथ एक नई शुरुआत की। विक्रम ने कहा, “रिया, मैं तुमसे और हमारी बेटी से प्यार करता हूँ। अब पुरानी बातों को भूल जाओ।”

रिया ने आखिरकार मन की शांति पाई। उसने सीखा कि दोस्ती में विश्वास रखना ज़रूरी है, लेकिन आँखें बंद करके नहीं।

सबक: सच्चाई चाहे कितनी कड़वी हो, उसे सामने लाने की हिम्मत रखें। और हाँ, अपने दोस्तों को चुनते वक्त थोड़ा संभलकर रहें। क्या आपके पास भी कोई माया जैसी दोस्त तो नहीं?

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